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________________ ( ३ ) गुणोंका अवलम्बन करनेसे उनका जीवन आदर्श बन गया, यही सब बातें बतलाकर मनुष्यके चरित्रकी उन्नति करनेका प्रयास किया गया । इसी चेष्टा के परिणामस्वरूप कथा - शास्त्र और इतिहासों की सृष्टि हुई। इन शास्त्रीय कथाओं में सभी तरहके गहन विषयों को सरलताके साथ सर्वसाधारण में प्रचलित करने की चेष्टा की गयी । संस्कृत साहित्य में ऐसे अनेक गद्य-पद्यमय ग्रन्थ है । प्राकृत में भी बहुत से ऐसे ग्रन्थ बने। इस कथानुयोग द्वारा मनुष्यसमाजका बड़ा उपकार हुआ है और आगे भी होता रहेगा । 1 कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य जैन-धर्मके एक बड़े भारी आचार्य हो गये हैं । उन्होंने ही कुमारपाल राजाको धर्मोपदेश देकर जैनी बन्तया था और समस्त देशमें जैन धर्मकी विजयपताका फहरायोथी । उनके नाम से जैन-धर्मावलम्बी- -मात्र भली भाँति परिचित है । इन्हीं आचार्य महोदयने राजा कुमारपालके अनुरोध से त्रिषटिशलाका पुरुष चरित्र' नामका एक बड़ा ही उत्तम ग्रन्थ, लोककल्याणके निमित्त, लिख डाला। जिस ग्रन्थके रचयिता कलिकाल सर्वज्ञकी पदवी धारण करनेवाले श्री हेमचन्द्राचार्य हों और जो राजा कुमारपाल जैसे श्रेष्ट आर्हत राजा के बोध के निमित्त लिखा गया हो, उसकी उत्तमता, काव्य चमत्कार और विषयकी उपयोगिता के सम्बन्ध में भला किसे सन्देह हो सकता है ? - आचार्य हेमचन्द्र ने इस ग्रन्थमें इतने चरित्रोंका इस खूबी से समावेश किया है, उनके लिखनेका ढंग ऐसा रोचक और प्रभावोत्पादक है, कि पाठकों और श्रोताओं को उनकी बुद्धिकी विशा
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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