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________________ भरत से राज्य सिंहासनासीन होनेको कहना भरतका उत्तर । 1 ; रहा, इसके बाद लगा:-' - "हे प्रभो ! ब प्रभुने अपने सामन्त और भरत तथा बाहुबलि आदि पुत्र अपने पास बुलवाये । उन्होंने भरत से कहा - "हे पुत्र ! तू इस राज्यको ग्रहण कर हमतो अब संयम- साम्राज्यको ग्रहण करेंगे ।” प्रभुकी ये बातें सुन1. कर क्षण भर तो भरत नीचा मुँह किये बैठा हाथ जोड़ नमस्कार कर गद्गद् स्वरसे कहने आपके चरण-कमलोंकी पीठके आगे लोटने में मुझे जो आनन्द आता है, वह मुझे रत्नजड़ित सिंहासनपर बैठनेसे नहीं आ सकता अर्थात आपकी चरणसेवामें जो सुख है, वह रतमय सिंहासन पर बैठनेमें नहीं है। हे प्रभो ! आपके सामने पैदल दौड़ने में मुझे जो सुख मिलता है, वह लीलासे गजेन्द्रकी पीठपर बैठनेसे नहीं मिलेगा । आपके चरण कमलों की ; ००० S तीसरा सर्ग | OAR IED.. કોન્ટ अ etoo
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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