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________________ आदिनाथ चरित्र २२४ प्रथम पव प्रकाशमान करने वाले भरत और ब्राह्मी नामक दो बच्चों को जन्म दिया और वर्षा ऋतु जिस तरह मेत्र और विजली को जन्म देती है; उसी तरह सुनन्दाने सुन्दर आकृति वाले बाहुबलि और सुन्दरी नामक दो बच्चों को जन्म दिया। इसके बाद, विदूर पर्वत की ज़मीन जिस तरह रत्नों को पैदा करती है; उस तरह अनुक्रम से उनचास जोड़ले बच्चों को जन्म दिया । विन्ध्याचल के हाथियों के बच्चों की तरह वे महा पराक्रमी और उत्साही बालक इधरउधर खेलते हुए अनुक्रम से बढ़ने लगे। जिस तरह अनेक शाखाओं से विशाल वृक्ष सुशोभित होता है; उसी तरह उन बालकों से चारों ओर से घिर कर ऋषभ स्वामी सुशोभित होने लगे । उस समय जिस तरह प्रातः काल के समय दीपक तेजहीन हो जाता है; उस तरह काल-दोष के कारण कल्पवृक्षों का प्रभाव हीन होने लगा। पीपल के पेड़ में जिस तरह लाख के कण उत्पन्न होते हैं; उस तरह युगलियों में क्रोधाधिक कषाय धीरे धीरे उत्पन्न होने लगे । सर्प जिस तरह तीन प्रयत्न विशेष की परवा नहीं करता, उसी तरह युगलिये आकर, माकार और धिक्कार - इन तीन नीतियों को उलङ्घन करने लगे । इस कारण युगलिये इकट्ठे होकर प्रभुके पास आये और अनुचित बातों के सम्बन्ध में प्रभु से निवेदन करने लगे । युगलियों की बातें सुनकर, तीन ज्ञान के धारक और जाति स्मरणवान् प्रभु ने कहा"लोक में जो मर्यादा का उल्लङ्घन करते हैं, उन्हें शिक्षा देनेवाला
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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