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________________ प्रथम पर्व १६१ आदिनाथ - चरित्र वेगवान विमानों में बैठकर वहाँ आई । स्वामी और मरुदेवा माता को नमस्कार कर, पहले की तरह कह, अपने हाथों में दर्पण ले, मांगलिक गीत गाती हुई पूर्व दिशा की तरफ खड़ी रहीं । दक्षिण रूचकाद्रि पर्वतपर रहनेवाली समाहारा, सुप्रदत्ता, सुप्रबुद्धा, यशोधरा, लक्ष्मीवती, शेषवती, चित्रगुप्ता और वसुन्धरा नाम की आठ दिशा - कुमारियाँ प्रमोद-प्रेरित की तरह प्रमोद करती हुई वहाँ आई और पहले की दिक्कुमारियों की तरह, जिनेश्वर और उन की माता को नमस्कार करके, अपना कार्य निवेदन कर, हाथ में कलश लेकर, दक्षिण दिशा में गीत गाती खड़ी रहीं । पश्चिम रुचकाद्रि पर्वतपर रहनेवाली इलादेवी, सुरादेवी, पृथ्वी पद्मावती, एकनासा, अनवमिका, भद्रा और अशोका नाम की आठ दिक्-कुमारियाँ, भक्ति से एक दूसरे को जीत लेना चाहती हों इस तरह, खूब जल्दी-जल्दी आई और पहलेवालियों की तरह भगवान् और माता को नमस्कार करके विज्ञप्ति की और पंखा हाथ में लेकर गीत गाती हुई पश्चिम दिशा में खड़ी रहीं । उत्तर रुचकाद्रि पर्वत से अलम्बुसा, मिश्रकेशी, पुण्डरीक, वारुणी, हासा, सर्वप्रभा, श्री और ही नाम की आठ दिक्कुमारियाँ वायु- केसे रथ पर चढ़कर, अभियोगिक देवताओं के साथ, : जल्दी से वहाँ आई और भगवान् तथा उन की माता को ११
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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