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________________ भी होता है। उदाहरपा नेमिनाथ रास (सं. १९९०) का उपलब्ध होता है। और पइम जिनपइम तथा मनुधर तीनों कवियों के नेमिनाथ पर लिखे हुए भेमिनाथ का मिलते है। यही नहीं, रास और काय के अतिरिक्त उसी परित नायक पर लिखी अन्य कई रचनाएं यथा बम्पदिका, प्रबन्ध चरित, आदि भी मिल जावे है। इन रचनाओं में मूल क्या मैं चरित नाक होता है लेकिन कवि इनके नामकरण में रचना के शिल्प के आधार पर आशिक अन्तर करदेते है। इस आशिक मन्दर को समझना सम्भव नहीं, तो कठिन अवश्यक है। उदाहरणार्थ राम और पाए में जो क्या परंपराए है उनमें इस आवित अन्तर को समझना होगा। राम गेय म्यक होता है जबकि काय मनो विनोद प्रधान उल्लास गान यदि कवि को नेमिनाथ के चरित को गेय सक के रूप में प्रस्तुत करना इबा, तो उस रचना का नामकरण रास कर दिया। यदि उसे नेमिनाथ का गीत उस्लाम प्रधान मान करना माहो मामकरण का कर दिया साथ ही रास में रास सन्द की प्रधानता होती है और भाग में काय छन्द की। एक कवि चरित नायक का चरित प्रस्तुत कर सकता है दूसरा मधुमास का उन्लास प्रधान मादक गीत होता है। पक की कथा में विस्तार होता १ फागु माल काव्य होने से विचार और वर्णनाला मी मिया होते है। उसकी सबा अनेक पटमाइनों मारा कि रबी और गाने पटनागों का विस्तार, ताल बाधिक मारोह अवरोह नहीं रहने । सामान्यतः एक ही पति को लेकर विभिन्न नामों लिखी गई इन रचनाओं की यादी बार होता है। उदाहरणार्थ पंचवाब परित राड (भिरि . ४०) और बाबा ( १५.. मसाज कवि ) रचनामों की घटना पडवों के चरित की अनेक स्थानों को छोडकर भागब पि मे कोमल बनाकर प्रस्तुत किया है। र बाल विस्तारपूर्वमा पर्वदूसरे में विस्त । दोनों में भी विभिन्न है। बाग काम में विस्तृत रचनामों में अधिक लगने के कालीम दिया उस भाव मेब रचनामों का पूजन किया हो। पायी
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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