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________________ ८७६ 1 (२) विकास काल (सं० १४०० १- प्रौढ गय २- गदय काव्य प्रारम्भिक काल में प्रारम्भिक खानाओं के अन्तर्गत मानेवाली कृतियां है: १- आराधना सं० १३०० २- बालशिक्षा सं० १३३६ ३० अविवार सं० १३४० - ४- नवकार व्याख्यान सं० १३५८ ५. सर्वतीर्थ नमस्कार स्तवन संक १३५८ ६- अविचार से १३६-२ तथा परवर्ती रचनाओं की सीमा में आने वाली कृतियां है: ७- धनपाल क्या (सं० ११०० से १२०० के लगभग ) ८- तत्वविचार प्रकरण-सं० १४०० के लगभग अद्यावधि जैन गद्य परम्परा की जितनी भी प्रारम्भिक गद्य रचनाएं मिलती है उन सबकी प्रतिलिपियां भी दीं बतादी की ही मिलती है। अतः इनका जन्म काल यदि वि० ११०० से ही माना जाय तो कुछ असंगत नहीं कहा जा सकता। श्री अमरबन्ध नाटा का भी यही है प्रकार किया वा सकता है: (4) पाककृतियां काल १५००) उपलव्ध प्रारम्भिक काल की रचनाओं का विवयानुसार वर्गीकरण इस * उपामा परि क्य धार्मिक १- देखिए देवनागरी वर्ष अंक ३५० ५८ ॥
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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