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________________ अतः यह स्पष्ट है कि रमाकार ने कृति में ऐतिहासिक सत्यों और व्यों का भी वर्णन किया है।रचना के विस्य में भी यह सिद्ध होता है कि बामण के समय स्वयं कवि भी वहीं प्रस्तुत था या उसने प्रतिमा की शक्ति का उत्साह यशोगान किया। यह दूसरी बात है कि आक्रमण करती महमूद हो, उसका सेनापति होगा कोई भय रहा हो। वस्तुतः धनपाल का समय १०. है और उसी में यह उत्साह -गीन घटनास्थल पर उपस्थित कर लिया है। उक्त प्रमाणों के आधार पर वह भी या जा सकता है कि तुर्क यूनिक और चनलोड्य बाम्पनी ने सत्यपुर पर चढ़ाई अवश्य की थी अतः बा अनुमान भवस्य ही भानूब गजनवी रहा होगा। इस प्रकार कृति का ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व स्पष्ट हो जाता जिससे बत्कालीन समाज पर हुए सो के हिन्दुओं की पूर्तिया और शिल्प की मन क्ला को नष्ट करने से किए गए अत्याचारों का पी परिचय मिलता है। रचना के एक स्थल पर कविने भामणकारी का नाम जोग लिखा कमिपाणि चिरकालि आधि कुवि जोग नरेसक रव्य सियइ सच्चारि दि बडि बीस जिसक शारकि मादा रंग वापीकर बरस बर हुम दो रहि मिबि मरी बलिउड सम्भवः माह के पूर्व का पहब के बहिसित क्विी जय बोर नाम नाम या मोड़ने का प्रबल किया है। मोम नरेश का यह मिस गये जानकारी नहीं देता, पर अनुमानतः यह भी कोई समकालीन राजा रहा होगा। बाकरता मे हाथी और घोड़ों पर प्रषिको ही बाहर निकाला पाहा, इलाकों के प्रभार रि, रिस कि बार कमी स्पष्ट मिलते है। पेमा कवि में लिया। बस किन की इष्टि विचार करने पर हमें रचनाकार की कायतका परिवाहन ही क्लि बाबा है। धनवाल ने इस रचना का प्रारंभ - न . ० . ४२०
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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