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________________ वी वादी (११ ग) जिनवल्लभपूरि सारा विरचित महात्म्य संज्ञक नवकारमहात्म्य मिलता है। रक्ना अत्यन्त प्राचीन तथा प्रकाशित है। यह रचना विषय प्रधान रमा छोटी नवकार मंत्र के महात्म्य के लिए विरचित वस्तुतः इसमें मवकार की पमना और महिमा पर प्रकाश डाला गया है। आध्यात्मिक दृष्टि से नवकार सम्बन्धी इस महात्म्य का महत्व स्पष्ट होता है प्रारम्भ में ही कवि अरिहंत का स्थान बनाता : निय सिर पर भाण मग चिव कमलनार कंचन सब बदल सहित जिंहा माहे नक्वार सिंहा का अरिस देव कामामन टिकमामि से बाल पारमि पम पमति नियमति पनर भये सिंहा सिइबीय पदमारा राठे विहम तो कान निय सोहम बारे राती धोती पहर बप मिर्धा पुबेदिति और हिमरमिर बक्षिण अवधि (1) मकार मंत्र को माध्यात्विकला प्रवास रबि गन्म प्रमा और काम मीसिमका पात्य विविध धाओं और दृष्टान्को पुति हो the के बैठो बोर क बागर भाषी टिमा बारा नानी पारावास बाल्यका कदीप्रमाणे बायो डी वापियो का माहे १- देखि- अमात्मारास अमन सन्यालय, बीकानेर
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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