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________________ आदि का उत्साह पूर्ण वर्णन बीररस की निष्पत्ति करता है।वर्णन ध्वनात्मक है: (भीमपलासी) मयवर मयवरि रथ रथि विं, अमवारि असवार इबई परि भई थला पुषग अवि नसरंगाणि तिषिवार बिहुँ बालि ढो ढौं टोल टमक्की मा भोरिनन्द विरसरवि सरमई बबइ ढमढमढवक सुखद * मटि गटि दह दह नादि, वाजीय मुहिरनी साग रख काली मुनी मनरंगणि, कायर घडइ पराव मुड हलि पनीयाला आयुध सूरकिरक मलकति देखी मुहड सबल रोमच्या नीसन नासीति मयवर मुडिया रख पाबरिया, गुडलीया माह माहो माई बाई भाटक बाइघिर प्रवाह भारि मारि काता इक अहंकंपकि करवात रोसिव डिबा राउत भई जिम हा विकराल (१४५-१५०) एक तणा घडड चूजई एक हीडई मुललिताई गिर पाइ एक सी गुण्डा प्राधिकरण फोडा पार वरव अपीयर, बीरइ बीर पडत नाना एक नर भारीड, परवा इस किनईति ऐसा मयबर गढि गाई पाबमा बोकार डाडि माडी ना, हाइ अखबार और मन बना निदान है। निमाविलास अपना पूर्व मब पूछता है तथा दीवाना - (राग वसंत) इवलीपूरमय देखा गाती समर मरिकों भी मिलाब बरावि वापी पामी परमानंदो
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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