SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 673
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६३३ किया है। कृष्ण और नेमिनाथ का शारीरिक रूप व जलक्रीड़ा का साथ ही चित्रण किया गया है। वर्णन सरस तथा चित्रात्मक है: अंजनवान शरीर, बेई गिख्या गंभीर इकु नेमीसरूप बीजइ सारंग घर प हरि हरिणाक्षी साथि, स्वामी सिउँ जगनाथि, खेलई खड़ो अलीए जलि पहई उकली प फीलई सुललित अंग नेमि अनइ, श्रीरंग, सींगी जलि परीप, रमई अंतउरी ए हरि सनकारी गोपी देहि मिली लाज लोपी नैमि पारवलि फिरी ए, भ्रमकई नेउरी त्रिभुवन पति घर पर रमतु नारि मकारि, ते बोलई विवेक तूं एक जण अवधारि प्रभु । परिणेकडे मानिन मानिनी मनह वार्लम, तरुणीय जनमन जीवन यौवन अतिहि दुर्लम (३८-४२) कवि ने राजमती के उल्लास का वर्णन, उसके रूप सौन्दर्य का आलेखन क्या नैमिकी अलंकार सब्जा, छत्र, चमर, लूण उतारना, धवलमंगल गीतों का उपक्रम, समस्त देवों का बरात में आकर शामिल होना, संगीत वाद्यों का अलाप, नारद का गीत गान आदि सभी सुन्दर चित्र उरहे। ही एक दो उदाहरण अलम् हो: चकोर लोचनी मिली, निज निज मनि रली बली वली अलंकरइना हरे चतुर ऐरावणि प्रभु यदि चालि कालिज पूयमि उच्छाह रे काने कुंडल पलकt जिम सक्षि रवि-मंडल, मंडल वह सवि जोवई रे उरिवार हरु fatवरि मणिमुकुट, कटक कैकणि करि सोहई रे ---- 4
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy