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________________ चरित मूलक ग्रन्थ वर्षमात्मक अधिक होते है। इन रचनाओं में घटना बत्व की प्रधानता है। कवियों ने कहीं कहींअवान्तर घटनाओं का या काव्य को उत्कृष्ट बनाने के लिए कुछ काल्पनिक आर्व-कल्पित घटनाओं का भी वर्णन किया है। प्रकृति वर्षन प्रधान रूप से न मिलकर गौष में उपलब्ध होता है। फागु काव्यों और बारहमासा काव्यों को तोड़कर अन्यत्र सा लगता है कि इन कवियों को प्रकृति वर्षन का अवसर ही नहीं ITI RAः बहुधा प्रकृति वर्णन जिवना मी वा है वा सब पारंपरिक व साधारण है। प्रकृतिवर्णन में इन कवियों में शो की नाम गला व वसंत वर्णन ही अधिक किया है। नाम परिगणनात्मक प्रकृति वर्षन बहुत ही साधारण माना जाता है। इस तरह इन कायों में महापुरुष वर्णन, संघ वर्णन, भक्ति वर्णन, तीर्थ वर्णन, उन्लास वर्णन, कीर्ति वर्णन, उपदेश वर्णन प्रधान म्म में और प्रकृति वर्णन त्या अंगारादि वर्णन गौष में हुए है। इसका कारण जैन कवियों व सामों की धार्मिक पर्यादाएं। परित काव्यों में कुछ चमत्कार मूलक तत्वों मप्राकृतिक तत्वों (सुपरनेचुरल पलिमेन्ट्स) का भी बन देखने को मिलता है। अपप्रचरित मूलक ग्रन्थों में भी इस प्रकार की परंपरा मिली है। इन घटनाओं को प्रत्याशित घटनाएं ही का गा कता है। उदाहरणार्थ स्थान के प्रड्यन परिव प्रहम इवारा अनेक सों प्रकट होना, विद्याधरों का उपस्थित होना, आकाशमान, काम करना, हराना,बक लेन विभिन्न देश में एकदम प्रक्ट होना आदि तत्वोंका निवार मिलता है। विदयाधरों और गानों पर विस्तार में वर्णन मिलता है। इन पति को कवियों ने बाद मालिका चरित विस्तार में वर्षिय होता है। बवापि मावा हक्ने निकायों पर प्रभाव डाला तिमी पर कवियों ने उनका मान राम, गु मावि दिवा और तिमी माता है कि दोनों नामों बकायमों . : सरकाररित काव्य, क्या प्रभान या परित प्रधान हो। और हदीसम्म कि इनों पार्मिक वनों का प्रा मिलता है या जमा रहदाय ही धर्म प्रचार होता है। निकायों में क्या का प्राधान्य है
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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