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________________ ५४८ कर जोडिउ सोला भगइ जीविउ सफल रेसु अम्हि अवधारह धमियउ बच्चरी गाए ' इसके अतिरिक्त अन्य सहायक ग्रन्थों और समकालीन कृतियों में सोलप के सम्बन्ध में विशेक वर्मन उपलबध नहीं है। ___ काव्य का विषय गिरनार तीर्थ पर स्थित नेमिनाथ का वैभव वर्णन '। नेमिनाथ का दीपा वर्षन केवल ज्ञान और उनके भव्य मंदिर का बच्चरी में वर्णन है। काव्य की दृष्टि से यद्यपि इस रचना में कोई चमत्कार विशेष दिखाई नहीं पड़ता परन्तु कहीं कहीं प्रकृति का रंजक वर्णन किया गया है। साथ ही पूरा काव्य गत्रा परक है। गिरनार और उन्जयत के लिए संघ यात्रा करता है कवि ग्रीष्म में लू के पेटों में साहसिक और कायरों की पहिचान करता हुआ कहताहै: पाइ बहुइ कक्करीउ उन्हालइ लूवाइ जे कायर तेवलिया साहसिय से जाड उस समय यात्रा में होने वाले चोरों आदि का वर्णन भी कवि कर देता है साधना और प्रधा में निकाले हुए संघों में कष्ट होना स्वाभाविक है। चोरों आदि के इस वर्णन में तत्कालीन सामाजिक स्थिति का पता चलता है: नालिवरी गरि बडिहिं बहु चोरा उलिलाई चम्मिमा बोलि मिया अतुल पाइसहाई रचना में एक सुभापित भी मिलता : के पति मला पहिबड़ा है माला मारने पाबमली पहलिया है पहलाइ पुणे वस्तुतः रचना की भाषा में उत्सब भब्दों का प्रयोग है। यह काव्य एक ऐतिहासिक काव्य है। कवि बनस्थली गिरनार के महात्म्य पर पूर्ण बरस ढंग से प्रकाश डालता है। 1. प्रा०पू० का...ar - प्राणू का• •y. १ - वही। . वही, पृ. २७॥ ४
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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