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________________ प्रस्तुत कृति का प्रकृति वर्णन सामान्य है। कवि ने उदयान,उपवन करने. विद्गारों के देश की रानियों का बर्मन तथा विविध विद्याओं के वर्णन में कि में नाम परिगणन शैली का बहुत उपयोग किया है अत: नामों की इस परिगणना के कारण कवि का यह प्रकृतिवर्णन रस तथा पुम्दर नहीं बन सका। प्रकृति वर्षन, रानियों के नाम तथा विद्यावों के वर्णन के मन उदाहरण अलम होगे:(1) जो अनेक करि थविक्कर सोचमन पर परिणति वीउ भान जो यहूसिर हिब केवढाविचिउ वीरगयो र के नालियर को करिठियातिन्हइ हारपदा के लिए नारिंग जेड हारी दास, पिंडबूर फोकली असंच जातीफल इलायची लवंग, करमा परमा कीए रंग काधु कपिल्य वीर पीपली, हर बउ बिरी आविली सिरि अगर गलीदी धूप मरहि नारितहि ठाइ सम्म जाई ही वेल शेवती, दवमो पस्य अरु मालती पर राइ पउ पब कुंद, र कासिरी पाखण्ड बाला ने बाल मंदारू, सिंदुवार सुरही मदार (१५-७०) पाडल पालन न परवर क्या बात केला अंबपुर की रानियों के नामों की मापावली की सबसे बड़ी विशेषता यह कि विभिन्न प्रदेशों को मार विष नि नामों की मा राज्योंकी विहासिकता स्पष्ट होती है:( रा राषि, बिनके नाम कवियान कावाडि बरि अमरटीशी बोडि बाली औरठी पुरविली गरिमाल, बाकिर्मिय पुरचारित बबडी पाली मापीमादे परदे धवी ( 1) बाणावधि वीर रापी पाकि गावरापी मन मणि कमला दे मागमणि (Rev)
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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