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________________ जो भी हो, अपव और हिन्दी की इन जनपदीय रचनाओं के बीच विभाजन रेला प्राचीन राजस्थानी, जूनी गुजराती मा ब्रज की आदिकाल की जैन अजैन कृतियों दुवारा सरलता से सींची जा सकती है। अतः प्रस्तुत प्रबन्ध में इन्हीं रचनाओं को आधार मानकर हिन्दी के उदभव सूचक साहित्य पर प्रकाश डाला गया है। । आदिकाल सम्बन्धी अब तक हुए कार्य का संक्षिप्त परिचय ।। - आदिकाल पर अनेक विद्वानों ने प्रकाश डाला है। इस विद्वानों इवारा लिसी आदिकाल सम्बन्धी जितनी भी सामग्री इस समय उपलब्ध है उसे सर्वथा पूर्ण नहीं कहा जा सकता क्यों कि शोध विज्ञान के सिद्धान्तों की तरह स्थिर नहीं होती उसके मायाम बदलते रहते है। फिर भी भयावधि, आदिकाल सम्बन्धी जो भी प्रकाशित सहायक प्रस्थ मिलते है इनका विश्लेषणात्मक परिचय दिया जा सकता है। इनमें से कुछ प्रन्यो आदिकाल सम्बन्धी हिन्दी जैन काव्यों के पास प्रकाशित किए गए। और कु बालोचनात्मक विचारों में परिपूर्ण है। इनके द्वारा आदिकाल की ही स्थिति का कितना मूल्यांकन हो सकता है वह कहना तो कठिन है परन्तु इनमें कुछ मसंगतियों और प्रभावों को एप भी अन्य प्राधिकार सम्बन्धी महत्वपूर्ण सामग्री हामी अवश्य को पायगे। इनमें से प्र ग्रन्थों का परिचय इस प्रकार :(१) प्राचीन गुर्जर काम्ब संग्रह यहरचना पुरानी हिन्दी की है। इसको स्वर्गीय सीधी लाल ने सम्यादित कर प्रकाशित किया था। बपि श्री लाल ने इसमें सम्पादित और संकलित पाठों को गुजराती का मा परन्तु बास्त बमा पुरानी हिन्दी या प्राचीन राजस्थानी बा बूमी गुणरावी की है। म न को कवि ने पक्ष्य संग्रह, गद्य संग्रह या बस पल्टिो रिमादिकाल की प्रमुख प्रमुख १५ पदय रचनामों • गहब रखमानी था रबमानों पर प्रकार ढाता है जिनमें शिलालेखपी सम्मिलित है। बना पाय मात्वपूर्ण है। इनमें से अधिकार रखमाओं का विस्तृत - .. प्राचीन पुर्जर काय हा गाना मोरिण्टा . . १९.
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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