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________________ प्रस्तुत काव्य एकवरित काय है जिसमें कवि ने सुभद्रा के चरितका फल तथा सरस्वती वंदना को प्रारम्भ में ही स्पष्ट कर दिया है: कर होड नया गिरनारे का दीन्हइ सोना पारे अंक लवि नवकारिहि मिहि त फल सुमदा परिवि पुर्णि दिया दाना परिसन प्रा. सुभम महा मा लासप कमाइ पहिली सरबती बी मा लगी बसणा तह देख मममी बासु पसाइ कवितु पर पाना चरित सुमदास चेपा नगरिय का विचारो, मद महासह निव मनाओ (1) सुभद्रा की पार्श्वनाथ की उपासना ने सास की कोपाधिन में धुत का काम किया। पुनि आगमन पर सुभद्रा का पक्ति भाव से उसके पक्ष में से दिनका निकलने का अवसर पाते ही उसने से का िकरना चाहा। कवि ने इस घटना को मालंकारिक प्रवाह में लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग सरस भाषा में प्रस्तुत किया है। पापा की सरलता, अभिव्यक्ति का प्रवाह तथा शव भयन देखिए: संभ कि पाडू अखर एहो जिणवर सग म अच्छा देखो को विहि शान पर बला वामन बिबारि डका माता शनि परिव रोख पाहोवि बढाबिस बोसो पिका पारामा, अविना वा अनुगड हर ननिस, बीए विस्वा बहाव पर * इन्द्रिय विवि मलियन पाव, गया कि अप्पा समिति यानि का बेड भाग पाबाबो पारेर बार बार बार पियर पिडिय इणि सोनविल कर ख दुख शिव पुरए इणि गरमा नबरिय विरहन गाएं मरिका पारिंशी सुषबा वीर असा माना निबंटी बाकि धनिया बह विरंची की बिरयो, अपना विभिषि सिम
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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