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________________ रचना में अलंकारों की स्टा के कुछ उदाहरण नीचे दिए जाते है जिनमें अनुप्राम, रुप यमक, एवं उत्प्रेक्षा का खत निवाड हुआ है:(७) ममिय निरंजन भवमय की मज्जन रंजन पाम रे। (१) सारव ससि निम्माल गुणगण पति। (0 बा मागामि दीपड दिनकर किरपे रोहिषि क्षरे वा माहि मंडली सुन्दर श्री गुरु गुरुया गुमि जगतरे (४) त्रिभुवन गगन विमासन विषयर, निर्मल निजकुल कमल विवायद मुमबई मुहिई मुलवष लन सालंकार नाटक वनइ नबनबई कबई कवित्त मुसार (6) मित्र वसंत प्रमुख निय परिकरि परिकारित यति धीर रे () रमइ भाइ बहु मंमिई रमिड मधुकर कुंद किंशुक सम्पक फोफति फलिया तम्बर मार (९) मुह जिम पूनिम सारद ससिकर कर पंकजि जा सिविध रे प्रस्तुत फागु में बीच बीच में काम शीर्षक के अन्तर्गत पदों का भाव संस्कृत लोकों में भी दिया गया है।' फाण संझक अन्य रसायों में भी इस साइदी में इस प्रकार संस्कृत श्लोक देने की परंपरा मिलती है। का की पाका बत्सम प्रधान है। कवि पर संस्कृत का पूरा प्रभाव अपांच पदों की परंपरा मोम बमें भी पुरवित मिलती है. मायर, रिणयर, मोडम, मोगम, नगर, दिनावर मादि सब मिलने पर मयका मन, अनि का पशि का नियम का निमुन मन का न बाबर का बागर बादि अपार मदों स्थान पर बम सोंग प्रयोग किया है। बिमाबगर अधिक दिखाई पड़वी राजस्थानी - ...विद्याकिर कायद: उवारणार्थपाप पुण्याबरोनालिबान चा व स्तियो बारमा पिविनियम उचकीविकमारवा निबटा कामोयमा मोचन विश्व विदीनदोवार बन्छौ पव दिये।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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