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________________ रापल्ली पार्श्वनाथ फाग। (मेसनंदन)-सं० १४३२ छठंठंठठठठठठळळळळळळंठठठ यह फागु श्री अगरचंद नाइटा के संग्रहालय की सं० १४९३ में लिखी संग्रह पोथी से उपलब्ध हुआ है। रचना के लेखक श्री मस्तेदन उपाध्याय है।खरतरगच्छ के मेम्नवन जिनवय सूरि के शिष्य थे। इनकी अन्य कई कृतियां और मिलती है जो आदिकालीन हिन्दी साहित्य की बड़ी महत्वपूर्ण कड़िया है। जिनमें प्रमुख जिनोदयसूरि विवाहलउ, अजित शान्ति स्तवन आदि है। जैसलमेर पंडार में भी प्रस्तुत फागु की प्रति उपलब्ध होती है। श्री लालबंद पाधी ने इस कृति को सं० १५१९ की लिखी बताई है जो एकदम ठीक नहीं है। जीरापल्ली आबू के पास जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थ है। इसी फाग की मावि एक रावपि पार्श्वनाथ फारा मिलता है जिसका वर्णन हम पूर्व पृष्ठों में कर चुके है। प्रस्तुत कृति की मुख्य प्रवृत्तियां भी ठीक वैसी ही है। कवि ने पार्श्वनाथ मंदिर का प्रवाहपूर्ण वर्णन किया है। जिसमें पार्श्वनाथ की यात्रा पर निकले यात्रियों का परस्पर वातीलाप, बसंत की बनश्री पति पत्नियों का संलाप तथा पार्श्वनाथ की स्तुति बड़े ही प्रभावक पदों में की है पूरा फाग ६० कड़ियों में लिखा गया है। कृति के वर्णन को देखने पर इसमेंफागु के शिल्प सम्बन्धी लाक्षणिक तत्वों का समावेश भी मिलता है। भाका काव्यात्मक प्रबाह की दृष्टि से कुछ उदाहरण नीचे दिए जाते है। जीरावली स्थान का होमा वर्षन विधन विकास काम मामिड पावकुमार मायवि सिरि पीरउलिराउ हिउ का सार सिरि अमन महीपति दीपति कुल आधार अबढी सदी अभिरामा बामदेवि महार पामक बहु बाल पाक इक जग सामि सेवक शिवका सका डीपद नामि रमलाइ अब पुर्णगा बंगमु मोडि ममा रि बलपि बल राषि वालि म मयकारि - - - -प्राचीन कामु संग्रह- डा. मोगीलाल साहसरा- 11-141
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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