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________________ नेमिनाथ फाग ३७३ (पवम्) १४वीं शताबदी में एक लोटा सा काव्य नेमिनाथ फागु मिलता है । इसके रचयिता कवि पद्म है। रचना के नायक श्री नेमिनाथ है। इसी प्रकार के अनेकों काव्य नेमिनाथ के जीवन पर इस काल में तथा परवर्ती काल में उपलब्ध होते है । प्रस्तुत फाग में नेमिनाथ का राजमती से विवाह न कर वीतरागी होने का संविस में वर्णन किया है। | कवि पद्म रचित इस नेमिनाथ फागु की प्रति श्री अमरचंद नाहटा के अभय जैन प्रन्थालय में सुरक्षित है। श्री देसाई मोहनलाल ने तथा डा० मांडेसरा ने भी इसका उल्लेख किया है। का सिर्फ १४ ईदों में लिखी गई है। कृति का छेद दोहा है। जिसमें १० कड़ियों में कवि ने खुलकर वासन्तिक कमाओं का वर्णन किया है। ऐसा लगता है कि यह छोटा सा काव्य अनेक मावोर्मियों से कवि ने छोटे छोटे भावों द्वारा फित है । अत: इसे हम उर्मि काव्य कह सकते है । वर्णनों में एक चटक व माधुर्य का समन्वय किया है। कवि का प्रकृति वर्णन सरस है । प्रारम्भ में मंगला चरण के बाद कवि ने मधु रितु का चित्र खींचा है। उसकी 7 आलंकारिता व चित्रात्मकता इष्टव्य है जिसमें प्रकृतिक या वासन्तिक सुषमा h भूम झूम कर इनती बालाओं के काम खेलने का आस्थाविक वर्णन है। साथ ही नारियों का अश्रृंगारिक व एम रूप चित्र भी उत्कृष्ट है:मलयगिरि रतिया मक्टर दविन बाबार कामिणी मन सोडा बहुत रिवर रा fafe fees afव विवह वही अलि जाति कराव कोटडूक मोविन माय ara जन ais मोटरि बहुमिं करवी कर करगदी नारंग नव रंगि बाद वे वरल सिरि होवन केतकी जाइ tree परिमल महमद वाढ सुगंधर बाइ "
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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