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________________ (५) पथवीराज रासो- इस समय रासोको प्रामाणिक प्रन्ध सिद्ध करने की सामग्री बहुत कम मा आज तक की सामग्री के सहारे रासो का प्रामाणिक प्रथ कहना इतिहास और साहित्य के आदौ की उपेक्षा करना है। (1) पट केदार- जयन्द्र प्रकाश का परिमाण भी अज्ञात है क्योकि वह अभी तक भप्राच्य उसका केवल निर्देश मात्र राठोडारी ख्यातनामक संग्रह प्रन्थ में मिलता है, जिसका लेखक सिंघायन दयालदास नामक कोई बास थामत: भट्ट केवारत जयचंद प्रकाश हिन्दी साहित्य के केवल स्मरण कर लेने की वस्तु है। () मधुकर - जयमयंक- पंस बन्द्रिका - यह मन्ध भी प्राप्त है।' (४) वीर रामायण- ० ५ विक्रम। (१) आह - इसका पाठ अत्यन्त विकृत हो गया है।" (१०) हम्मीर रामो - इस ग्रन्च की एक भी वास्तविक प्रति प्राप्त नहीं है।' (1) विजयपाल रासो- इसकी भाषा अपच शुक्त है। (१२) हम्मीर महाकाव्य- विन सं० १४० के आस पास (a) जैसी रानै पाबूजी रा ० १५९१ के बीच में।' (१४) अचलदास बीती री बानिका - ११५८ (५) सिरन क्मिणी री बेल . . (A) पर सिणगार.. . (0) बनिका राठौर रतन सिंहजी री-०७५" (१८) बोडी नाची री कविता- MIR (११) नीता मारवली सपही -. " (१०) महाराव मांगनी रो - erry (1) धरान मारण गोपीनाथ रोकीयो-2 014 () महाराव नतिजी री कविता..१५" SHELP -बी. बाहित्य का पाठोरमाय मान, ग. रामकुमार वर्मा, पृ. m ११-बही। १२- वही। १-बही। - वही पू. १८ १४.बही। -बही . १०८, 01 ...वही . १८. वही ग्रन्थ बहीन्छ। ... वही . .
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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