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________________ ३३३ गौतम राम ! र्वी शताब्दी के पूर्वाध में पंचमाम्डव चरितराष्ट्र के पश्चात् काव्य सौष्ठव तथा प्रवाह की दृष्टि से एक अत्यन्त महत्व पूर्व कृति गौतम रास है। मामा, मा तथा काव्य इन तीनों ष्यों में यह कृति अपने पूर्व है। १०० वर्ष की प्राचीन रचना होने पर पी कृति का पाठ इतना अधिक लोकप्रिय है कि आज भी मारवाड़ी जैन श्रावक (तरतर गच्छीय ) इसका प्रतिदिन पाठ करते हैं। रात कई बार प्रकाशित हो चुका है। सर्व प्रथम श्री नाथूराम प्रेमी और परचा श्री arent प्रसाद जैन ने इस कृति के महत्व पर प्रकाश डाला। डा० रामकुमार वी मैं भी अपने आलोचनात्मक इतिहास में इस का उल्लेख किया था। इन विद्वानों ने उदयवन्त पनि इम् मणे और कहीं विजयभद्र मुनि इम् भने पाठ मिलने से रचविता का नाम ही उदय या विजयपद्र रख दिया पर वास्तव में ऐसा नहीं है। २ स्वामी रामः श्री eaf देसाई मोहनलाल तथा श्री अगरचन्द नाहटा ने कर दिया है। रास की है० १४३० की सबसे प्राचीन प्रति भंडार में सुरक्षित है। जिसकी पुष्पिका में : इति श्री गौतम सम्पती बिहारे श्री विनय प्रमोगा ध्याये कुछ मिलता है है कि रामकी रचना १० १४९१ में भोजन स्वामी केवलज्ञान प्रावि पर संग में श्री विवका उपाध्याय ने की हो कृति के पीने मार मिलते है तथा विभिन्न प्रतियों में पदों की थी कि है। यह संगम ३-हिन्दी ४-हिन्दी ०११५ १- वाडित्यः बिहार राष्ट्रमा परिषद् में प्रकाशित ही अगरबन्द मास्टर का गौ स्वाची का राम व उसके रचविता पाठ ० २०९। त्या श्री माधुराम मी सं० १९७३ संस्करण ० ३५ विश्वका प्रेमी ०. १९४७ संस्करण ० ६५ का मन इतिहास: डा. रामकुमार वर्मा, दिव०स० प्रकाशित साहित्य श्री इस भूल का परिवार बीकानेर के बड़े ज्ञान . -: श्री गोवन हाल देखाई भाग पृ० १५ बिहार राज्याचा परिन्द्रः श्री गौतमरासःश्री जगवंद माइदा का व
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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