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________________ : ककी रास : १४वीं सताब्दी के उत्तराईध में एक रचना कमली रास मिलती है। रचना का लेखक अशात है।रचना काल, रचनाकार औरराम के रखना स्थल की संभाव्य कम्पना रास की अंतिम पक्तियों से की जासकती है। श्री मोहनलाल देसाई ने भी इसका रचनाकार श्री प्रभावित इरि माना है।' पर मह बात ठीक नहीं जंचती है। रासकी अंतिम पंक्तियां इस प्रकार है मात्रीसह अबाडि लामण पवधर साहबो छयबी गयर ममारि आरिवार भी मि किसी कमल परि नियपाटि बधि प्रजारिठवीयो कमीर मावीउ प्रीड पनि अन्या कीओ कषि पत्र मुरकोड गवार मंगाजत विमलो नाबी चिरकाल प्रपा प्रज्ञा तिलक रे जिन शासकि नाडा गुरुभवी गई कल्पतरो बाबाग अब उमाहोबा मि मा बसकरो और त्रिका मेटा निम्ति जिब हरि शिमलव सावि परका इसमwittent का नाम, रासका लाnिा बना वक कोटि है। शाई बी की नाका परिधार इस बार होम किसी प्रकोप से बह स्वयं अपने लिए मागास्त्री का मत है कि ऐसा me योगा।' पर शास्त्री बीका प्र प्राचीन पूर्वएगबानी विकास का भाषाकविकोपीकावामी
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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