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________________ २६८ नावह पंडित बाहिरि थाउ, इम्भ थबा नितु गंगड गाइड অ তীয় কাম বিত, সময় অন্ত এ পৰি मेरि महतेष तर म उस रिय, पंडित उच्छ धाउति बोरउ गारिय उ पडित कोपानल बडिका, पास ही समऊ थी कर बेड को पिराया पोई, नंदु इभिङ सिरिया राज होती नयर इवारे सो ना मालिया, महता का राज अनि लिया जा महका अवसरि बाबा, तब पुठि दिया पुनरवा मुहवा जाणिमूल विणाडि, वैभव भयो नरबाइ कति सिरिक भइन बल्ल धाउ, जो विउ साधि लिया जा राउ महापरा बडबा स्वाभिर, अमित इला रयशिक नामित सिरिया कहइ नरिवह बाइउ, बम ब्लड बैंक पाइउ बस हामि इंद्र अमा मवि बाबा, भामिमि विरु निमा या भाषा तल निसणेविण नरवा पिउकाइला तिमद आमिर रायह मंदिर पतिका पक्षमनातोपि मोग विरra: (२-1) रमन उबरन में कवि ने राजकीय मान्यों और कर्मचारियों की पारस्परिक ईबी प्रथा राग डाटा माती प्रतिको मा है। पोमनि लिन जनक विषयवार नरम गी। मेवार sinान कोई गप 10 पर किसी पर बरपानामा पर निगमका निहीं रमा । यिा है। इसके पामार को की बम, योनी पक गुरु माई उससे प्या ra g on बार पवनों का बलम क्यिा त्या गों म पानी में खाने कोण कोपी बाल एक marसारको सब मिना भाव होली मिनाको
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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