SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 289
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आग्रह नहीं वे तो स्वतः ही का गए है। अनुप्रसा २५६ छेकानुप्रसा(1) गढ गर्छस गयबर गुडीय जंगम जिमि गिरि श्रृंग तु "" (11) सई मिस महम (11) तरवरवार तोबार तु। २-वल्य ० चलीय गयवर बलीय गयवर गुडिर गर्जत I ३, लाटाव (11) पढन जिनवर पढम विश्वर पाय पणपेवि वीसा । ५० अत्यासी: (1) दिखि दिति वारक संचरहर (11) गंगो मंगिय अंगमइप । ६- शुत्यनुप्रास (1) मंडीय मनि गय कड मेधाडंबर सिरि धरिय (11)वेगिम बोलहि संपति बाहुन । यमक अभंग (1) वेग वेग बोल (11) सर सर सर र उछलीय सभंग / (11) पिय फालम फालि (1) पैरव भैरव रब कर ए ठिक बहुवित इष्टाम्प स्था उदाहरण () बाम तुरीयमाहिमी त (1) फिरि फिरिय चिव के करइय errous (1) काजल काल विवाह । (11) बोल मंग उपमा पर्व उत्प्रेक्षा- (1) बिनि उपवाचक दूरि विनि विरि सोहमिनि नवो ईकानि रवि हषि मंडीय किए अट (11) (111) की भाषिक नाहि मा बाइबले । रंग चमर कारि बाल चमर । (1) परिवाहि उन बाइ सिर डोका वह पर ि िए टकटकी ट्रॅक गिरि । (1) पंडित विनय मंडपावर विरि परिव भूमंडी का विर बह
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy