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________________ है। ठीक उसी प्रकार की स्थावस्तु को अत्यन्त स्मीय ढंग से मय -वात मी लिया है। पूरी रचना की क्या वस में लेखक ने गद्य भाग में केवल मात्र अध और पज्जावर्षन ही किया है।जौहर वर्णन काव्य में किया है। माद के अन्तान ने मागरोन (कोटा राज्यके अन्तर्गत) पर बाहर दी अचल दास पर्व उनके भनेक बायोगी उपकारक अड्ध में चारों मुसलमानों को पार करवीरगति को प्राप्त हुए और उमभी स्त्रियों ने जौहर की धधकती वाला में प्रवेश कर वीरोचित गति को प्राप्त किया। राजा अवलयास पीची की उसी समस्त की इस य प्रशास्तुि को चारण कवि एवं वाती लेक श्री शिवदास में कृति के काव्य में औरवाती माग में डाला है।वर्णव वस्तु महब और पद्य दोनों मों में समान नहीं है मन में अधिक है।मय औरपदय दोनों पैतियों में कवि श्री शिवदास की यह वनिका इसलिए औरमी अधिक समय बन पड़ी। क्यों कि स्वयं शिवदास अपने आश्रयदाता अचलदास के साथ युइप कर रोने वा अपने सिंहस्य सामानों को वीरोक्तियों, गर्वोक्तियों ज्या गत्या भान ज्झदनाओं से युद्ध के लिए प्रेरित कर रहे थे। इस ववनिका का समस्त मध्य भाग कृति सेखक का बार्गे देखा बनीव वर्णन वा प्रबाड मनी सवारिया यस बरस और पारावाशिक ART विस्य महीं है। हम की पाशिवाय मी वर सर्व कर ज्याप्त हवामान बहीनी मियोक्ति और मानव अवाररावास या निषि पासा लिया। (a) एकपाडा ग्रामवाली भूतवाह मिल जापक बरवरित मारा दिमान दिनोबा ाि बाम कारावासा पनिवाकर बात बोते पारसी माया पिरी बापी माखी क्यामा कुली जिम करवरिया, बौनाबाविमनौगरिताकाली निहाव, गोता वृहावा गर्दै पिर रही कारी राजीवजीरावरंगबीच गौच महडिमकर गाडि रंगली कामाबाबा म बापि मावि मालर पम पोष पीवालाहबानका सरावीकारावाहिकायााकोबाका महावापरली का विकासका बरीबालीकाही बानी राम द्वापामहाराबामियों काबोबावा वैषीरवार पालामाबोब बीबी निवारण गर, गाय करिनालवलीद अगल आबाण चमचमी उठायो मदिवाबपोरोमाबीपाराममहा बडा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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