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________________ १६४ चामर कैति वि जे जुडंति ते तुरंग आणय जे सुद्ध वित्त साहित्य वामित पाया लहंति फीकी मयड होमदीउ आसणो पद चाल चिह्न दिसि बामर ढल ए सिरवरि ए सोइ छात्र विप्र वैउनि उच्चरs प बाबा जगलि ए नानाविध पात्र बहु बंदिष कलरव करइ ए चाभर करिति सारसी गईद डि डि र there are creatउ छूज ताब अंबर उचित्त वा दिवि राज बेगि साब रह करो प्रेम सुदयवच्छवीर पत्त तोरणड वरो बाबर पद चाल... गय गामिव गुण विन्नवद ए आभाव मुदी प करइ सिणगार हार पकाउति उरि वह आज के समय कुमार अदि नारदवरो (३३०) नरिदं ईद मोडतोय रि अदि विक मानिनि मनमो (९४-९६) verted पाय मा ते सुवीरकम (१) मन (९९) १- देखिए वर्ष १५ ३० १३०-११५/ (२०१) १ कवि ने कारी वर्णन किया है। सबहिंगा के वरीर के विविध उपमान उसके कार्य कार्यों द्वारा उसकी होगा दिवगुति कर देते हैं।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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