________________
अब्दों की आवृत्ति से सम्पन्न एक काव्यात्मक देखिए, जिनमें कवि ने लोभ का यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया है:
लोभइ एक विटालइ आप लोपड एक करइ पण पाप लोमा ऐक नर लोपर धर्म, लोभइ करइ पाडूना कर्म लोभइ मिली माल माघडइ लोभइ एक नर वाहणि बहइ लोभइ एक विदेशइ, लोभइ एक नर पाला पुलइ लोभइ एक दापवइ अणाधि, लोभइ बूंदा बालइ हाथि लोपइ एक करइ दारिद्र, लोपड़ चोर न आवइ निंद्र लोपा का जि पियारह परइ, लोमह कन्या विक्रय कराइ लोमा जमला वासिन बसलोपा एक बेटाइ साउंसह लोभइ एक बाइ अन्यान लोपड़ पर ऊपाडा बान कोपा धर्मलोप आदर,लोभ सगा सडोदर पर
तोपइ एक नर पाडइ वाट,मारइ विप्रनगारी भाट (१८:१८६) रागों की दृष्टि से पीरजना का देशीय स्वरूप स्पष्ट हो जाता है कवि ने स्थान स्थान पर विविध राग, पवा आदि नामों के अन्तरंग मुन्दर काव्य प्रस्तुत किया है। रागों और पबाह उधरण दे-लिएपवाह-बासापुरी मासिका मापी अबकि बागी शान
डोल प्रसूम रंगर पा, पीर राज का
परिधिका सावरा मान मि पुण्या गटो मामाची पवमी पारपी, परवरीया टी (९१-१९) राम न्यासी बर्षिगीत में की गाइति विशेष इष्टव्य है जो पद की गेयता योग देती है। इसी बरा राम गिरि पिल्ले पद की मिलवा मी. पद की भाति उनी -
राम राममिति मला पोज इमर अमीष बौर को स्वामी जय माता दीर