SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुक्तक काब्य के अन्तर्गत मानेवाले काव्य : १- गीत सोत्र स्तवम और पद था २- उपदेशात्मक स्फूट रचनाएं। यही इस समस्त प्रकार की बनामों का विवेकम संप में भी संभव नहीं है और न आवश्यक ही है, जहा इस रक्षाओं की प्रमुख विशेषतानों पर हरे वेष में विचार किया जा सकता है। वे इस प्रकार :(१) रचनाओं की ऐतिहासिकता: अपच की रबनाएं प्रायः ऐतिहासिकता का प्रतिपादन भी करती है।इन रचनाओं के द्वारा तत्कालीन भाषा, समाज और संस्कृति के सभी तत्वों का ऐतिहासिक मात्य भाका मा सना है। अपज की क्या दिया,बच कियास, शक्ति और मौन्दर्य की सार्थकता और कोक जीवन में उसका सम्पर्क था स्कुट कीसमी परम्पराकों का निर्वाह अपभ्रंश की इन रचनामों में मिलता है। अपनी प्राप्त थाती का इतिहास अपने पुरवित रखा। भाषा गस्त्रीय बंधनों में आ निमग्न या साहित्य देशी भाषा मे सहन सम्पर्क स्थापित करने का अवसर प्राप्त कर सका। यइयपि वर्णन की परम्परारं से शिषित थी परत ऐतिहासिक पुरुषों, स्थानों या अन्य सामाजिक स्वोस्थापित कर साहित्य की समग सभी परम्परागों की रेलिसिमागे प्राणिमा स्य पर न सोमानी मा मा, ािरिक परिवर्तन का वो सीन की शतीय परम्परागों वो पुराना इन स्थिति का पर्याप्त वर्णन मि . नायर को बार बाहित्य की ममता की पूरी पूरी टी ... मीन र साहित्य उस नागर समान की थी विचारधारा को प्रतिविम्बिसा है जो अपना रेविवाकिया मामा करने लगानि बिना में बाधक हो गलीम .
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy