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________________ रामटों के बाद वाक्यों और गाढायो पायात गड़ा के पास जैन धर्म गै बाग डोर गई। बावड़ा और पाय दोनों जैन धर्म प्रेम करते थे। पाक में मूलराज ने मनासिवाहा जैन मन्दिर का निर्माण कराया। भीम प्रथम नापति विषल ने प्रा पर पन्ध जैन मन्दिर बनवाया जिसे आप विमलनही कहते है। विधराज गासिंह और मारपात पर आ मचन्द्र का भारी प्रभाव पड़ा। आचार्य ने सिद्धराज जयसिंह के नाम पर अपना वियोग मारक रमा। धिराज ने महावीर स्वामी का सिपुर में बड़ा भारी मन्दिर नामामारपास धर्म स्वीकार कर मास माय मादि सबन्द करवा यिा। अनेक वैन मन्दिरों की यात्रा करना कुमार पाल ने की। इनके समय में अनेक प्रन्धों की रमा की। यी अगदी बों का राज्य होने पर उनके मंत्रियों वस्तुपाल बार देवपाल मा पर अनेक र मन्दिर बनाए । जय और गिरनार पर उनके मार भन्दिरों की fast भाप मी पुरक्षित है। इस प्रकार वलभी, पाटब, अब डिवाक, गिरनार आदि स्थानों पलाय कवि पंडार तथा उनसे प्राप्त विविध प्राचीन साहित्य पारती न बनण irpति और उसकी मन का मल प्रमाण है। formामयों TT पन्य विवरणों और विषय नायी माराम विदी। मारामारी सर्वानी की माना होगा कि सीमाली बीम LATE m pire कमाना। गोरखपुर बार inmar प्राचीन प्रमाण मिलने है। वीं गादी mmeी बाई HTTीन परामा निकी कि
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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