SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1032
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८३ बहुत सम्भव है कि यह दिवपदी वाला ही राम हो । पृथ्वीराज राठौ में रासा के विभिन्न रूप मिलते है। जिनमें २१, २३, २४, २६ आदि महत्राएं मिल जाती है साथ ही यति का भी कोई निश्चित रूप नहीं। संदेश रासक में इस द को आयामका माहाका भी कहा गया है। प्रो० वेलणकर ने इसमें १७ (६+४+४+३) गण योजना दी है यह भी रासा में ठीक नहीं लगती । जर्मन विद्वान याकोबी ने रासा को नागर अपभ्रंश का प्रधान न्ट बताया है। जो भी हो, इस सम्बन्ध में स्थिति बहुत स्पष्ट नहीं है। यों यह छेद कड़वक आदि विभिन्न रूपों में बहुत ही प्रचलित रहा 8 (२) वहुत- यह ध्द बहुत ही प्रसिद्ध है जो प तेश्वर बाहुबली रास में ( १६-१७, (०७,७८, ९५, १३७, १३८) के अतिरिक्त और पी अनैकरचनाओं यथा प्रधुम्नचरिव, जिनदत्त चउर, (३७, ४५, ११, १०, १५३, २४०, ४०३)' जिनेश्वर सूरि, terest, कच्छूलीराम, मंच पान्डववरित राहु (१८३८, ११४, १४१ १५५) गौतमराव (1) This is the principal Metre employed in building up the frame of Sandesh Rasak. (11) The 'Rasa' metre used in the body of (1) This is the priff}.FLUF.BLUT'Ê·JÜLTUJ ́V ५०५३ frame of Sandesh Rasak. (11) The metre used in the body of - दिन दीपक *दान #TOT (3) #gtar: कडवक संदेश रासक: डा० मायामी भूमिका भाग ०५३ ३- देखिए वक्त्तकहा : सम्पादक याकोबी १०७१-७२। ४- मरतेश्वर बाडुली रामः श्री भगवान थी। - जिनदत्त पर बैन बोध संस्थान जयपुर में संग्रहीत (समका विय) ॐ सुर्जर राजाकी ०१-२ * " दुवारा श्री जयशेवरसूरि सम्पादक श्री लाल का अनयद भगवान गांधी जै० आ०प्र०
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy