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________________ मंगति इवारा प्रमोभव, कामदेव का संपूर्ण विश्व पर कपित हो माझमण करना, प्रिय प्राप्ति के लिए जिन बंदन, नायिका का अवतार होना आदि कवि कथित कई क्यानक जैन रचनाओं में मिल जाते है। उदाहरणार्थ भरतावर बाहुबली रास में कवि द्वारा दोनों भाइयों में जल नैन मावि अधों की उभावना, प्रशन्न चरित में प्रधम्म का सब सेना को मिल कर मूर्षित कर देना, रायल का मेमिनाथ पुग श्रवण कर माकर्षित होना जिनदत्त उपई व्यापारियों के लिए सिंहल इवीप भारी सौन्दर्य और आकर्षण का केन्द्र होना, तथा उसमें हीरे मोती और पवाराओं का विम्य होना, कठपुतली का चित्र दिखाकर जिनदत्य उपई में नारियों इबारा जिनदत्त को कामकता की ओर जाना, गाड़ियों इबारा व्यापार करना. जहाज इनारा माल लेकर विदेश यात्रा कसा, कौटते समय मार्ग में भारी ब्याप होना, विड्याधर अमारी नगर में उसके पेट में से निकलकर लोगों को पाने वाले भयंकर विवधर को मारकर राजकुमारी से विवाह करना, रास्ते में जिनवान्त पर समुद्र में भारी संकट पड़ना और शिनबत्त की भाति विश्वाविलास पबाड़ी में विझ्या विकास पर भारी भाष भामा, मिक्स बी काम इनारा कृषित होकर सम्पूर्ण विषय पर माल्मम करना बापि अनेक काबनिक या कलियां मिली है।नया साड़ियों का प्रवन कर कवियों ने अपनी मौतिक पल्पना का परिचय दिया है। शामिपूरि बारा विरचित 'विराटपर्व और बालिनारि विरवित वमान्य पति रारों कि पटना जैन कवियों की पालिस मर्जमा है। विमो विभिन्न कोकमय बाडिया की बा सकती है। क्यानक को बापू गेना या समासी है। स किनीमाविकालीम हिन्दी और कायम नीमा नि कि कलियों शिन है। इन विविध
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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