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________________ पर पर्याप्त कार्य किया है। इस प्रकार जैन काव्यों में उपलब्ध जिन काव्य रुड़ियों में से कुछ पर ऊपर विचार किया गया है उनका उत्तर अथमेश अथवा पुरानी हिन्दी के काव्यों में सफल कम से निर्वाह किया गया है। प्रारंभिक रुड़ियों के अतिरिक्त कई काव्यात्मक रुढ़ियां व्यविधान सम्बन्धी भी मिलती है जिनपर विचार किया जायगा। उक्त रूढ़ियों में कुछ का कथानक कड़ियों के परीक्षण किया जा सकता है: १ 8336 १ प्रत्येक जैन काव्य प्रारम्भ में जिनवंदना, अथवा सरस्वती वंदना से प्रारम्भ होता है- उदाहरणार्थ- भरतेश्वर बाहुबली रास- वडगिरि राम, मैजिनाथ फाइ जिवत कापड आदि प्रन्थों में जिनवंदना अथवा सरस्वती ना मिल जाती है। इनमें पदमावती देवी अथवा चोरी केली अथवा afterदेवी का नमन भी मिल जाता है। अनेक प्रकध और बरित काव्यों में कवि ने स्वयं अपना परिचय दिया है इन कवियों में त्रिभुवनदीपक प्रबन्ध के रचयिता शालिम सूरि, पदा के निर्माता, विनयकर, प्रयुम्नचरित के fafter are विपके श्रीवादिकवियों ने अपने ग्रन्थों के अपने नाम की छाप प्रारंभ में सज्जन सा स्वयं की oyer तथा तक जिंदा आदि करके पुरातन काव्य कवियोंका निर्वाह किया है। २- क्या कड़ियां प्रत्येक काव्य कृति में प्रयुक्त कथा में अनेक प्रकार की क्या रुढ़ियां तो कल्पित होती है और कई अनुश्रुतिमध तथा कड़ियों में मिलने वाली अनेक रुढ़िया है जिका w of story Volum I. page 30 by PEXERR
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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