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________________ आधुनिकता और राष्ट्रीयता बर्टेड रसेल ने मनुष्य के समस्त क्रिया-कलापों के दो स्रोत माने हैं:आवेग और इच्छा। अतः किसी राष्ट्र के साधक तत्त्वों पर विचार करते समय यह देख लेना आवश्यक हो जाता है कि राष्ट्रीय जीवन के मूल आवेग क्या हैं ? और साथ ही यह भी देखना आवश्यक है कि इच्छाशक्ति आवेगों को नियंत्रित कर रही है या उन्हें (आवेगों को) मार डालने का प्रयत्न कर रही है; कुचल रही है या सृजनात्मक कार्यों में प्रवृत्त कर रही है इसका विश्लेषण करना भी आवश्यक है। आवेग का होना जीवन का द्योतक है। रसेल के शब्दों में- " जिस राष्ट्र में आवेग हों ही नहीं, उसके लिए कोई आशा रखना बेकार है। आवेग जीवन की अभिव्यक्ति है और जब तक आवेग बाकी है तब तक यह आशा की जा सकती है कि वह मृत्यु की ओर न जाकर जीवन की ओर हमें ले जाएगा। परन्तु आवेग न होना मृत्यु का परिचायक है, और मृत्यु में से नये जीवन का उद्भव असंभव है" १ आवेग मनुष्य को शक्ति को अभिव्यक्त करनेवाली धारा है। इस धारा को जीवित रखना है और इसे सृजनात्मक रूप देते हए आगे बढ़ाना है। जनजीवन में ऐसे आवेगों को जाग्रत करने की आवश्यकता है जो उन्हें न केवल निष्क्रियता से बचाए ( क्योंकि निष्क्रियता मत्य है ) बल्कि वे रचनात्मक कार्य में संलग्न हो सकें। इस दष्टि से शिक्षा के अधिक से अधिक प्रसार की परम आवश्यकता है। हमारे भीतर सृजनात्मक आवेगों को जगाने और उन्हें उपयुक्त दिशा में मोड़ने का कार्य शिक्षा से ही संभव है। इससे हम अतीत की धरोहर रूप में प्राप्त संस्कृति की रक्षा कर सकेंगे। यह प्रसन्नता की बात है कि पंचवर्षीय योजनाओं में शिक्षा को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। किन्तु इस समय आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षा सम्बन्धी नीति का निर्धारण राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए। छात्रों को चाहे वे माध्यमिक पाठशालों में पढ़ते हों या विश्वविद्यालयों में, समस्त राष्ट्र में एक ही धरातल को आधार मान कर शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। हमारा देश अनेकता में एकता की संस्कृति में विश्वास करता आया है, अतः इस प्रवृत्ति को अधिक से अधिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए। राष्ट्र की इच्छाशक्ति प्रबल और एकता का आधार लेकर चलने वाली हो। कलह संघर्ष या युद्ध का जन्म प्रमुख रूप से आवेगों के कारण होता है। आवेग १. सामाजिक पुननिर्माण के सिद्धांत-बण्ड रसेल--अनुवादक-मुनीश सक्सेना--प. १९ ।
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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