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________________ समस्याएँ ९३ शक्ति के रूप में सामने आते हैं । भारतवर्ष की स्वतंत्रता और प्रगति में देशी राज्यों की यह स्थिति बाधक है। देशी राज्यों की उन्नति के बिना भारतवर्ष उन्नत नहीं हो सकता । "" इसी पुस्तक में देशी राज्यों की संख्या बटलर कमेटी की १९२९ ई. की रिपोर्ट के आधार पर ५६२ दी गई है । २ देशी राज्यों की यह संख्या राजनैतिक विभाजन की द्योतक है। भारतवर्ष के स्वतंत्र होने पर इस विभाजन का अन्त हो गया । देशी राज्य समाप्त कर दिए गए। कुछ प्रबल राज्यों ने अपने अस्तित्व का प्रयत्न किया, जिसमें कश्मीर भी एक है और इसके साथ विभाजित राष्ट्रीयता ने राजनैतिक समस्या का रूप ग्रहण किया और इस कारण दोनों राष्ट्रो में तनाव का निर्माण हुआ । हैदराबाद राज्य ने भी इस प्रकार का प्रयत्न करना चाहा किन्तु वह सफल नहीं हुआ और शीघ्र ही हैदराबाद राज्य का विलय भारतीय गणराज्य में हो गया। इस इतिहास के दोहराने की यहाँ आवश्यकता नहीं है । इसके पश्चात् भाषा समस्या सामने आई और इस आधार पर प्रान्तों की पुनर्रचना होनी चाहिए। भारतवर्ष बहु भाषी देश है और इस देश का विभाजन भाषाओं के आधार पर हो तो शासन में सुविधा होगी और यह माँग आन्ध्र प्रदेश से प्रबलतम रूप में सामने आई । परिणाम यह हुआ कि भाषाओं के आधार पर प्रान्तों को नया रूप दिया गया । हैदराबाद राज्य के इस समय तीन टुकडे हो गए। तेलगू भाषी हैदराबाद राज्य के जिले तेलंगाना के द्योतक हैं | मराठवाडा हैदराबाद राज्य के मराठी भाषी जिले । इसी तरह कन्नड भाषी जिले मैसूर- प्रदेश में जोड दिए गए। गुजरात अलग हो गए। यह सब भाषाओं के आधार पर हुआ । यह बात है । भाषा के आधार पर ही हरियाणा, पंजाब से अलग हो गया। जिस तरह धर्म के आधार पर भारत राष्ट्र का विभाजन गलत था, उसी तरह भाषा के आधार पर प्रान्तों का पुनर्गठन भी गलत साबित हुआ। जिस आन्ध्र प्रदेश ने भाषा के आधार पर स्वतंत्र राज्य की माँग की, वह अब विभाजन के मोड पर है । इतिहास ने सिद्ध किया है कि भाषा के कारण वे एक नहीं हो सके | इस समय समस्या यह है कि देश का राजनैतिक विभाजन राष्ट्रीयता को किस रूप में प्रभावित करता है और इस एकता को बनाए रखने के लिए जनमत को कैसे बदला जाय ? इस दृष्टि से सोचने पर ही समस्या का निदान खोजा जा सकता है। और महाराष्ट्र १९५६ ई० की १. देशी राज्यशासन- भगवनानदास केला ( प्रकाशन तिथि १९४२ ) - पृ. ११ २ . वही पृ. ९
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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