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________________ आधुनिकता और राष्ट्रीयता तो हमारा ध्यान राजनीति की ओर चला जाता है। अतः राष्ट्रीय एकता के सम्बन्ध में विचार करते समय हमें किसी राष्ट्र की राजनैतिक परिस्थितियों पर विचार करना आवश्यक हो जाता है । राजनैतिक परिस्थितियों के संदर्भ में राष्ट्र की परम्परा, इतिहास, संस्कृति, धर्म, भाषा आदि पर भी विचार किया जा सकता है। इन सब के आलोक में हीं राष्ट्रीय एकता के साधक एवं बाधक तत्त्वों का विश्लेषण संभव हैं । ९० राष्ट्र के उपादानो में भौगोलिक उपादान का महत्त्वपूर्ण स्थान है । इस दृष्टि से राष्ट्रीय एकता पर विचार करते समय राष्ट्र की भौगोलिक सीमाओं की ओर सर्वप्रथम ध्यान आकृष्ट होना स्वाभाविक है। राष्ट्र की भौगोलिक सीमाएँ किसी राष्ट्र के भौतिक एवं स्थायी सम्पत्ति के अस्तित्व का द्योतक हैं। राष्ट्र की भौगोलिक सीमाओं की रक्षा होना सर्वप्रथम आवश्यक हैं। धरती का मोह सबसे बड़ा मोह है और उसके लिए राष्ट्र के नागरिकों को बलिदान करने के लिए सदैव उद्यत रहना चाहिए। राष्ट्र की भौगोलिक सीमाओं की रक्षा कौन करेगा ? निश्चित ही इसका उत्तर राष्ट्र के रहनेवाले नागरिक होंगे। अब राष्ट्रीय एकता पर विचार करते समय राष्ट्र के नागरिकों पर विचार करना पडेगा । भौगोलिक सीमाओं ( किसी राष्ट्र के ) का निश्चय होने पर उन सीमाओं में रहने वाले नागरिकों को एकसूत्र में जोड़ने वाले तत्त्वों की और ध्यान देना होगा, जिससे कि राष्ट्र के नागरिक आपस में एक होकर रहें। वर्तमान स्थिति में, जैसे कि हम देखते हैं; राष्ट्र की भौगौलिक सीमाओं की रक्षा करने का काम राष्ट्र की सरकार करती हैं। किसी राष्ट्र की सरकार किसी राष्ट्र की सत्ता का अभिव्यक्त रूप हैं। यह सरकार राष्ट्र के संविधान के अनुसार शासन करती है और संविधान के प्रति उत्तरदायी रहती है। वास्तव में संविधान में राष्ट्र की व्यवस्था एवं राष्ट्र के आदर्श तथा राष्ट्रीय आवश्यकताएँ, मर्यादाएँ आदि का उल्लेख रहता है और तदनुसार राष्ट्र के नागरिकों के कर्तव्य एवं अधिकारों की उचित व्यवस्था भी संविधान में हैं । इस दृष्टि से संविधान की मर्यादाओं के पालन में राष्ट्रीय भावना का पालन होता है । भारतवर्ष की भौगोलिक सीमाओं में रहनेवाले सभी भारतीय एक हैं। इस एकता का सब से बड़ा प्रमाण यह है कि वैधानिक रूप से शासन व्यवस्था एक प्रकार की हो और वह भारतीय संविधान के अनुसार हो । इस व्यवस्था में जो बाधाएं उपस्थित होती हैं, वे बाधाएं राष्ट्रीय एकता में बाधक हैं अतः इस प्रकार की बाधाओं को दूर करना आवश्यक है। भारत का प्रत्येक नागरिक संविधान के अनुसार अपने अधिकारों का उपभोग सर्वत्र
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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