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________________ इतिहास विलास में लिखा है। शक्ति ने जब भारत की निम्न रूप में हुई । ७९ दिल्लीश्वरो वा जगदीश्वरो वा । ' ऐसी बडी' राष्ट्रीय भावना को हानि पहुँचाई तो उसकी प्रतिक्रिया औरंगजेब के पूर्व अकबर के शासनकाल से ही या उससे कुछ पुर्व ही भक्ति की लहर देश के कोने-कोने में फैल गई थी। संतों, साधुओं, आचार्यो और भक्तों ने देश को मध्यकाल में यह समझाने का प्रयत्न किया कि भारत सांस्कृतिक दृष्टि से एक है । शंकराचार्य का नाम इनमें प्रमुख रूप से लिया जा सकता है । बाद में भक्तों ने जो केवल उत्तर में ही नहीं, महाराष्ट्र कर्नाटक, आन्ध्र आदि दक्षिणी भागों में भी-भी आचार्यों के इन विचारों को काव्य के माध्यम से जनता तक पहुँचाया । ज्ञान और भक्ति की 'तुलना में भक्ति को श्रेष्ठता का पद मिला। मानस के उत्तरकाण्ड और विनयपत्रिका में तुलसी ने इस पर विशेष प्रकाश डाला है । इसी तरह सूर का भ्रमरगीतसार भी भक्ति को महत्त्व देता है । इस काल में आते-आते औरंगजेब ने देश में जागी हुई भगवद्भक्ति की दृष्टि से -- जनता की भावनाओं पर कुठाराघात किया तो जनता पर तो इसकी प्रतिक्रिया हुई ही, संत समाज पर भी इसकी प्रतिक्रिया हुई। उन्होंने भी यह अनुभव किया कि अब 41 हरि-स्मरण " से कुछ नहीं होगा । महाराष्ट्र में समर्थ रामदास ने दासबोध की रचना नए आलोक में युग की परिस्थितियों के अनुरूप की । पंजाब में भी गुरु गोविन्दसिंह ने नानक के दर्शन की व्याख्या इसी दृष्टिकोण से की । उन्होंने राजनैतिक जाग्रति को महत्त्व दिया । इस काल की राष्ट्रीय भावना में सांस्कृतिक चेतना के साथ-साथ राजनैतिक चेतना भी सम्मिलित है । मुसलमानों के आगमन के बाद भारत की राष्ट्रीय भावना का ह्रास हो गया था । उनके अत्याचारों से ये दबी हुई भावना प्रतिक्रिया के रूप जाग्रत हुई । ये जाग्रति सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक रूप में क्रमशः होती गई और अन्त में इसकी परिणति राजनैतिक जाग्रति के रूप में हुई । सामाजिक जाग्रति का नायक इस युग में कबीर हुआ जिसने सारे पाखण्ड और बाह्याचारों का अपनी तीव्र वाणी से निषेध कर समाज को एक स्तर पर एक परमात्मा की छत्रछाया के नीचे लाने का प्रयत्न किया । सामाजिक सुधार के साथ-साथ धार्मिक भेदभाव को भुलाने के प्रयत्न भी इस युग में हुए । इस प्रयत्न में कवीर और अकबर के प्रयत्न अपना विशेष महत्त्व रखते हैं : कबीर वह प्रथम व्यक्ति है जिसने बाहर से आने वाली जाति को भारतीय स्वीकार कर लिया । कबीर की घोषणा ने
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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