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________________ ७४ आधुनिकता और राष्ट्रीयता राष्ट्रीय विश्वास को निरूपित करती है और मनुस्मृति का वह संदर्भ काव्य का रूपक मात्र नहीं है बल्कि सारे देश में व्याप्त और गहराई से अनुभव की जाने वाली राष्ट्रीय भावना की अभिव्यक्ति है । मातृभूमि को उसकी संतान सब जगह स्वर्ग से भी अधिक पवित्र और स्वय देवताओं के निवास के योग्य समझते हैं।" प्राचीन काल का भारत वर्णाश्रम की व्यवस्था में विश्वास करनेवाला था। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शद्र सब के अपने-अपने कर्म निश्चित थे । समाज व्यवस्था इसी प्रकार की थी। सामाजिक और धार्मिक नियमों के विधाता ब्राह्मण लोग थे और ये इस मामले में राजा महाराजाओं का हस्तक्षेप नहीं चाहते थे। राजा महाराजा उनकी सुख-सुविधा का पूरा ध्यान रखते थे। राजा का धर्म ब्राह्मणों की सेवा करना व उन्हें इच्छित वस्तुएँ देकर प्रसन्न करना था । ऐतरेय ब्राह्मण में ( ऐ. ब्रा. ८, १ ) कहा गया है कि जो नपति ब्राह्मणों की श्रेष्ठता स्वीकार नहीं करेगा वह नष्ट हो जाएगा। ऐसी स्थिति में यह माना जा सकता है कि समाज में यह वर्ग शक्तिशाली था। सामाजिक विधान के बनाने वाले और धर्मशास्त्र के रचयिता यही लोग थे। इस काल की राष्ट्रीय भावनाओं को पुष्ट करने में इस वर्ग का महत्त्वपूर्ण योग रहा। समाज के सभी वर्गों के द्वारा इनका आदर होता था। ये एक राज्य से ( इन दिनों के राज्य छोटे छोटे होते थे। महाभाष्य में निम्न देशों के नाम आये हैं-- अजमीढ, अंग, अम्बष्ठ, अवन्ति, इक्ष्वाकु, उशीनर, ऋषिक, कडेर, कलिंग, कश्मीर, काशि, कुन्ति, कुरु, केरल, कोसलर .."आदि आदि ) दूसरे राज्य में जाते और सब जगह दान दक्षिणा पाते थे । प्राय: ये लोग धर्म का प्रचार करते, अध्ययन और अध्यापन का काम करते या वैयक्तिक साधना। इस वर्ग ने धर्म के आधार पर भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावना के विकास में अपना योग दिया है । धर्म का राष्ट्रीय भावना से गहरा सम्बन्ध है। सच तो यह है कि धर्म की एकता की भावना ने ही भारतीय संस्कृति को अब तक जीवित रखा १. हिन्दू संस्कृति में राष्ट्रवाद - राधाकुमुद मुकर्जी --पृ. २८ । २. धर्मशास्त्र का इतिहास--डा. पाण्डुरंग वामन काणे--द्वितीय भाग ( हिन्दी समिति प्रकाशन ) अनुवादक : अर्जुन चौबे काश्यप --उक्त पुस्तक में इनके अतिरिक्त प्राचीन भारत के अनेक राज्यों के नाम दिये हुए हैं।
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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