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________________ आधुनिकता और राष्ट्रीयता प्रकार से जागरण का साहित्य है । जब देश या जाति अपने गौरव को भूलने लगती है, या उसका पतन होने लगता है या उसकी आत्मा को जबरदस्त धक्का लगता है तो राष्ट्रीय साहित्य का सृजन होना अत्यावश्यक हो जाता है । यही साहित्य उनमें सामूहिक उत्थान का भाव पैदा कर सकता है । अतीत की गौरव गाथाएँ उनमें फिर आत्माभिमान का भाव जाग्रत करती हैं । खोया हुआ बल उन्हें प्राप्त होता है और फिर वे आगे बढ़ने में समर्थ होते हैं । ६६ साहित्य - कोश के अनुसार- " राष्ट्रीय साहित्य के अन्तर्गत वह समस्त साहित्य लिया जा सकता है जो किसी देश की जातीय विशेषताओं का परिचायक हो । इस प्रकार के साहित्य में जाति का समस्त रागात्मक स्वरूप उसके उत्थान - पतन आदि का विवरण आ सकता है। उसका होना एक प्रकार से अनिवार्य ही है । इस दृष्टि से साहित्य के प्रायः वे सभी ग्रन्थ जो किसी देश की सभ्यता, संस्कृति, धर्म आदि को व्यक्त करनेवाले हैं, राष्ट्रीय साहित्य के अन्तर्गत आ जाएँगे ” । राष्ट्रीय - साहित्य का यह अर्थ व्यापक रूप में होगा । राष्ट्रीय - साहित्य की विशेषताएँ १. राष्ट्रीय साहित्य किसी देश की सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक परम्पराओं से प्रेरणा लेकर उसके आधार पर राष्ट्र में चेतना पैदा करनेवाला साहित्य है । २. राष्ट्रीय साहित्य इतिहास की व्याख्या सामयिक परिस्थितियों के अनुमार करता है - विशेषतः राष्ट्र के हित को लक्ष्य में रखकर - इससे राष्ट्रीय भावना का विकास होता है । ३ राष्ट्रीय साहित्य- देश की वर्तमान सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक यथार्थ दशा का वर्णन करते हुए -- देश के उद्धार या कल्याण की प्रेरणा देता है । ४. भूभाग ( देश विशेष के ), प्रजा, भाषा साहित्य आदि के प्रति अनुराग प्रकट करते हुए राष्ट्रीय भावनाओं को पुष्ट करता है । १. हिन्दी साहित्य - कोश - ( प्रथम संस्करण) पृ. ६५३
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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