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________________ २२ आधुनिकता और राष्ट्रीयता अतः सत्य के सम्बन्ध में साधारण धारणाओं को प्रस्तुत करना यहाँ इष्ट हैं । सत्य का सही आराधक बनना बड़े दायित्व का काम है । यहाँ नीचे जो विचार प्रस्तुत किये जा रहे हैं, वे जन-जीवन के सत्य के प्रति प्रचलित दृष्टिकोणों को ध्यान में रखकर ही किये जा रहे हैं । इनमें भी विशेष रूप से यह विवेचना आधुनिक सन्दर्भ में की जा रही है। सत्य के सम्बन्ध में अधिकारपूर्वक कहने वाले व्यक्ति जन मानस की दृष्टि से प्रमुख रूप से तीन प्रकार के व्यक्ति हैं । वे हैं - (१) धार्मिक नेता, (२) वैज्ञानिक और (३) दार्शनिक । हम सबकी दृष्टि इन्हीं लोगों की ओर लगी हुई है और इन्हीं की मान्यताओं के आधार पर जगत का कामकाज आज हो रहा है और भविष्य में भी हमारे मार्गदर्शक ये ही लोग रहेंगे । अतः सत्य से सम्बन्धित इन सभी का स्वतंत्र विचार करना और फिर इन तीनों का आपसी सम्बन्ध और अन्तर दिखलाना साथ ही इनमें से जनमानस की वर्तमान प्रवृत्ति इन तीनों में से किस ओर अधिक है, इसे देखना आधुनिक सत्य को समझने के आधार हो सकते हैं । इनके ठीक ठीक विश्लेषण से हम वर्तमान को समझ सकते हैं और इन्हीं के आधार पर समकालीन इतिहास-बोध को स्पष्ट किया जा सकता है । प्रथमतः धार्मिक सत्य की विवेचना की जाय । धार्मिक सत्य एक प्रकार से स्वीकृत सत्य है । इसे स्वीकृत ही नहीं अंगीकृत सत्य भी कहा जा सकता है । इस सत्य में जनमानस का विश्वास होता है । यह सत्य बदलना नहीं चाहता । धार्मिक व्यक्ति यह कहेगा कि मैं इस सिद्धान्त में विश्वास करता हूँ और यदि तुम इस सिद्धान्त में विश्वास नहीं करते तो तुम धर्मविरोधी हो । धार्मिक व्यक्ति में विश्वास का बल होता । ऐसे व्यक्तियों के विचार बड़े कट्टर होते हैं और वे सहज ही बदलने के लिये तैयार नहीं होते । धार्मिक नेता प्रायः वर्तमान से असन्तुष्ट होते हैं और वे अतीत को फिर से जीवित करना चाहते हैं । विज्ञान का सत्य ज्ञान की दिशा में माना हुआ स्वीकृत सत्य है । किन्तु यह जिस क्षेत्र में भी स्वीकृत सत्य होगा, वह ज्ञान की नवीनतम उपलब्धियों के आधार पर माना हुआ सत्य होगा। वैज्ञानिक सत्य अपने आप में पूर्ण सत्य होता है । पूर्ण इस अर्थ में कि कारणों एवं परिणामों की उसमें ठीक ठीक मीमांसा होती है । एक ही दिशा में किये गये सभी परीक्षणों का लाभ उठाकर वैज्ञानिक नवीनतम सत्य की उपलब्धि करता है । धार्मिक सत्य
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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