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________________ जवानोंका जोश हम वो हैं मर्द कि मनन न थोड़ेंगे कभी। मुंहले जो कह चुके मुंह उससे न मोड़ेंगे कमी !! तीरते, तंगसे खंजरसे, कहीं डरते हैं ? कल्ट' जित वातका कर लेते हैं वोह करते हैं। आर जो हनसे ज़ियादा है वोह कल कम होंगे। जब कमर बाँधके उठेंगे, हम ही हम होंगे। नंक और वदमें है क्या बतानेवाले! जो हैं गुमराह उन्हें राह पं लानेवाले ॥ वेबवर जो थे उन्हें हमने स्वस्तार किया। वावे गलत हरक मल्सको हुण्यार किया । यह तो दावे हैं, मगर वक्ते अमल जब पाए। परसे बाहर न कोई आए न मुंह दिखलाए । खोने दे की मानिन्द बदन पराए। कामकी जिससे कहो वोह ये पै लाए। जानसे बढ़के है, नबी मोहब्बत हमको। क्या करें ? कामसे मिलती नहीं फुरसत हमको। लोग क्या कहते हैं? मृतलकं उन्हें अहना नहीं। आवर, वर्म, दयाका मी जरा पास नहीं । जिस तस्वीरकी गोमा बड़े वोह रंग बनो। दिलमें गैरत है अगर 'दास' तो अकलंक वनो । 'प्रण। भूला भटका। 'स्वप्न । 'काम करनेका समय। 'वेंत। 'नुछ। 'लगाव । - ५४ -
SR No.010025
Book TitleAadhunik Jain Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRama Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1947
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size5 MB
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