SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्द, शब्द सन्देश दे रहा कहाँ न्याय अन्याय लड़ा है। पग, पगपर रोना ही है तो फिर पावन त्योहार कहाँ है ? आज हृदयमें प्यार कहाँ हैं? उस पावन मेवाड़ भूमिपर, अन्यायोंका प्यार पला था, राजपूत ललनाओंका जहँ, रूप और सौन्दर्य जला था, धधकी थीं ज्वाला-मालाएं जहाँ, आज प्रासाद वहाँ हैं ! आज हृदयमें प्यार कहाँ है ? कभी नहीं भूलेगा भारत, अरे बाग़ जलयानावाला, पापी सर ओ डायरने जह, बहा दिया था खूनी नाला, उसके रक्त-बिन्दुओंसे ही लिखा गया इतिहास वहाँ हैं ! आज हृदयमें प्यार कहाँ हैं ? शासक वर्ग भवन कहता है, भाग्यहीन खंडहर हैं फूट, जिसे शृंखला समझा पागल, वह तो सव बन्धन है टूटे, मरघट कहते हैं हम जिनको, फैली जौहर राख वहाँ हैं ! आज हृदयमें प्यार कहाँ हैं ? - १७४ -
SR No.010025
Book TitleAadhunik Jain Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRama Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1947
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy