SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री मुनि अमृतचन्द्र, 'सुधा' श्री अमृतचन्द्र 'सुधा का जन्म सन् १९२२में आगरेमें हुमा। आपके पिता पं० युगलकिशोरजी अपने यहाँके प्रसिद्ध ज्योतिषी थे। सन् १९३८ में इन्होंने स्थानकवासी सम्प्रदायको मुनि-दीक्षा ले ली। आपने लगभग सात कविता-पुस्तकें रची हैं, जो प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी कविताओंका विषय प्रायः धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक होता है । कविताको शैली आधुनिक ढंगकी है । भाषा और भाव सरल होते हैं। अन्तर मानस मानसमें अन्तर है। अड़ी खड़ी है आज हमारे सम्मुख कैसी जटिल समस्या ; मुलझ न सकती, अरे, कहो, क्या विफल हुई सम्पूर्ण तपस्या ? मुप्त पड़ी है वही भूमिका जिसपर उन्नति पथ निर्भर है। गवित था जो देश कभी अपने गौरवके गानोंसे ; आज शून्य होता जाता वह नितके नव-अपमानोंसे । नाम हमारा कभी अपर था, काम हमारा आज अपर है। - १३१ -
SR No.010025
Book TitleAadhunik Jain Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRama Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1947
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy