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________________ श्री रविचन्द्र 'शशि श्री रविचन्द्र 'शशि'की रचनाओंने कुछ वर्ष पूर्वसे ही समाजके . साहित्य-प्रेमियोंका ध्यान आकर्षित किया है। आपकी प्राय अभी वाईस-तेईस वर्षकी है, पर अापने समाजके नवयुवक कवियोंमें अपचा विशेष स्थान बना लिया है। आपके जीवन के वातावरणमें ही कविताका समावेश है, क्योंकि आप समाजके प्रसिद्ध कवि श्री 'वत्सल'जीके दामाद हैं और आपकी पत्नी श्री प्रेमलता देवी 'कौमुदी' भाबुक कवियित्री हैं। ___श्री रविचन्द्रजीको कविताएं कल्पना-प्रधान होती हैं। छायावादी , शैली श्रापको प्रिय मालूम होती है और आपकी राष्ट्रवादी कविताएँ प्रोजपूर्ण होती हैं। भारत साँसे याद आती आज भी है यश-भरी तेरी कहानी ; कीति-गिरिपर मुस्कुराती जगविजयिनी नवजवानी । थी कभी इस विश्वकी तू कोहनूर, सुवर्ण-चिड़िया ; गर्व भाल उठा रही थी, 'सभ्यताकी वृद्ध रानी' । वीरता वल ओजसे जिसको वनी गाथा पुरानी ; है युगोसे बनी शाश्वत वीर मनुजोंकी कहानी। अमित तममें सन रही थी विश्वकी जव राह सारी; युगल पद-रेखा तुम्हारी थी घराके पथ पुरानी। चंचला कलकलस्वरा जिसमें तरंगिनि डोलती थी; गर्वकी द्रत मेघ-माला सरस मवरस घोलती थी। वीर गुण-गाया सुनाकर आज राजस्थान रोता; विजयलक्ष्मी सदा जिमका स्वर्ण-आनन खोलती थी। - ११८ -
SR No.010025
Book TitleAadhunik Jain Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRama Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1947
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size5 MB
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