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________________ हमारे यहां निम्न लिखित जैनपुस्तकें मिलती हैं। जैनग्रन्थ संगह। इतने ५० पुस्तयों हैं । और पुष्ट झागज पर सुन्दर टेप से छपी हैं और ऊपर से । बुन्दर जिल्द बंधी है। यही एक पुस्तक परदेश में पास रखना दारफी है । मूल्य प्रथम एक स था । अब 1) पाठ माने ही मे देंगे। व्याख्यान रत्नमाला। छपगई ! छपगई !! छपगई !!! जिस पुस्तक के लिये सभा प्रेमी परुष वर्षो से भटक रहे थे। वही भाग छप कर तैयार हो गई । सचमुच ही यह व्याख्यानरूपी रत्नों की माला ही . है। इसके धारण करने से लोग सभा में धर्राटे के साथ व्याख्यान दे कर जाति सुधार कर सहेंगे तया धन धर्न विद्या बुद्धि की वृद्धि कर सकेंगे जो पुरुष सभा . में व्याख्यान कहना सीखना चाहते हैं वह इस के अंगाने में देरी न करे। की० ८ भाग को ) नवीनहोलीसंग्रह,एकबारवश्यपढ़िये) हा निषेध | सांगीत मनोरमा (नौटंकीकीराहमें) दुःखहरण बिनती सागीतनेनचन्द्रका (नौटफीकीराहने) 4) सकटहरण विनती जैनगजन संग्रह (चा भीलिखा है )-)| बारह भावना सग्रह, स्तोत्रशलत(भनेकारागों में१००स्तुतिह)) समाधिमरण (एलविनती सहित) । प्रमोरिमाला (पर्याशी पुस्तफा है)-) परमार्थजकाड़ी, वा-रानुल सोरठमे) . तस्वार्थ उन्नजी मूल __-) पुकार पचीसी पंचसंगल पाठ | जैनषालगुटका (वालोंकोबढ़ाइये)) লাক্ষাদ্বা বালুনী ) | इट छत्तीसी निर्वाणकांड गाथा )। भारहनामा नीता जी बाईसपरीषह, बारह भावना सहित) बारहमासा मुनिजी | प्रश्नोत्तर नेमराजल बारहमासा मजदंत | पालोचनापाठ अर्थसहित वराय भावना व्याहला नेमिनाथ अध्यात्म पचासा | मामायक भाषा दश भारती ॥ सप्तऋषि पूजा निर्वाणकांड भाषा निशिभोजन भजन कथा धर्मपचीसी. मतानर संस्कृति वा भाषा कृपया पचीसी . बुढ़ापे का विवाह जैनधर्म की कुल छपीहुई पुस्तक वा ग्रंथ इसपते सेही मिलेंग----लाला जैनीलाल जैन--मु०देववन्द-जि० सहारनपुर--- । ར ར ར 25- 1 = RAJ4A
SR No.010024
Book TitleJain Vrat Katha Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Jainilal Jain
PublisherLala Jainilal Jain Saharanpur
Publication Year
Total Pages39
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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