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________________ ఓటthatsaratheeshటుదురుకుగడుగునవుడుగుడుగుడుదండన పడండbittistarring रास तथा सज्झाय-विभाग सुकृत फल भोगवी स्वर्गमा जे गया, तास वक्तव्यता इहां आणी ॥२॥ * दोय श्रुतखंधने वीस अध्ययन वलि, वीस उद्देस इहां जिन प्रयुंजे । सहस संख्यात पद कुन्द मचकुन्द जिम, बहुल परिमल भ्रमर चित्त गुंजे ॥३॥ सरस चम्पकलता सुरभि सहुने रुचे, अन्य उपगारनी बुद्धि मोटे। सूत्र उपगार तेहथी सबल जाणिये, जेहथी पुरुष सुख अचल खोटे ॥४॥ बंधने मोक्षना बेउ कारण अछे, दुकृतने सुकृत जीवो विचारी। दुकृतने परिहरी सुकृतने आदरी, जिन वचन धारिये गुण संभारी ॥५॥ मकर रे मकर निंद्या निगुण पारकी, नारकी तणे गति कांइ बांधे । नारकी प्रकृत तज सहज संतोष भज, लाग श्रुत सांभली धरम धंधे ॥६॥ सुखने दुःख विपाक फल दाखव्या, अंग इग्यारमें वीतरागे। चिरजयो वीर शासन जिहां सूत्रथी, कवि विनयचन्द्र गुण ज्योति जागे ॥७॥ . प्रतिक्रमण सज्झाय कर पडिक्कमणो भावसं, दोय घड़ी शुभ ध्यान लाल रे । परभव जातां जीवनें, संबल सांचं जान लाल रे ॥ कर० १ ॥ श्रीमुख वीर समुच्चरे, श्रेणिकराय प्रतिबोध लाल रे । लाख खण्डी सोना तणी, दिये दिनप्रति दान लाल रे ॥ कर० २ ॥ लाख वरस लग ते वली, एम दीये द्रव्य 1. अपार लाल रे । इक सामायिकनी तुला, नावे तेह लगार लाल रे ॥ 1. कर० ३ ॥ सामायिक चउविसत्थो, भलं वन्दन दोय दोय बार लाल रं ।। व्रत संभारो रे आपणा, ते भव कर्म निवार लाल रे ॥ कर. ४ ॥ कर काउसग्ग शुभ ध्यान थी, पञ्चक्खाण सूधं विचार लाल रे। दोय सझायें ते वली टाली, टालो सर्व अतीचार लाल रेकर० ५॥ सामायिक परसादथी, लहिये अमर विमान लाल रे । धरमसिंह मुनिवर कहे, मुगति तणूं ए निदान लाल रे ॥ कर० ६ ॥ कर्म सज्झाय देव दानव तीर्थकर गणधर, हरि हर नरवर सघला । करम तणे वस सुख दुख पाया, सवल हुआ जब निवला परेप्राणी कर्म समो नहिं कोई॥१॥ i ntaininatantaniantertainirlashrinkrtainlakrinlaletelaintantanki-strinakefamataoiratrinkioksattakikatataikikaktatalatakarhathistatistkhatrnatakartesaririkskitani-kest-learoltatise infatuatottai.riabaibhiraikhokathokrothohintahstakhstainsila natokobibiafarinlaintainhdkothkhbirlhiringin.la talathi-kathat that-tria toiletrintainstrellist.. air
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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