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________________ అందరంటుంటటటటటటటటటటటటం టటంటుడు పడదువు చదువు చదువులు చదువుకుంటుందటletstant सूत्र विभाग . २१ Shastra a sokritictataakakakrotestaskootasantastestskotatistastratolatastistkhthitstotkottatestasthalaltocotkoolasalestialist अजुग्गओवि, मइ पास णिरंजण ॥२२॥ हउं बहुविह दुह तत्त गत्तु, तुहु दुह णासण परु । हउ सुयणह करुणिक्क ठाणु, तुहु णिरु करुणायरु । हउं जिण पास असामि सालु, तुहु तिहुअण सामिय । जं अवहीरहि मइ झखंत, इय पास न सोहिय ॥२३॥ जुग्गाऽजुग्ग विभाग णाह, ण हु जोयहि तुह सम । भुवणुवयार सहाव भाव करुणा रस सत्तम । सम विसमइ किं घणु णियइ, भुवि दाह समंतउ । इय दुहि बंधव पास णाह, मइ पाल थुणंतउ ॥२४॥ णय दीणह दीणयं मुयवि, अण्णुवि किवि जुग्गय । जं जोइवि उवयारु करहि, उवयार समुज्जय । दीणह दीणु णिहीणु जेणु, तइ णाहिण चत्तउ । तो जुग्गउ अहमेव पास, पालहि मइ चंगउ ॥२५॥ अह अण्णुवि जुग्गय विसेसु किवि मण्णहि दीणह । जं पासिवि उवयारु करइ, तुहु णाह समग्गह । सुच्चिय किल कल्लाणु जेण, जिण तुम्ह पसीयह । किं अण्णिण तं | चेव देव, मा मइ अवहीरह ॥२६॥ तुह पत्थण ण हु होइ विहलु, जिण जाणउ किं पुण । हउं दुक्खिय णिरु सत्त चत्त, दुक्कहु उस्सुयमण । तं मण्णउ णिमिसेण, एउ एउ वि जइ लब्भइ । सच्चं जं भुक्खिय वसेण, किं उंबरु पच्चइ ॥२७॥ तिहुअण सामिय पासणाह, मइ अप्पु पयासिउ । किज्जउ जं णिय रूव सरिसु, ण मुणउ बहु जंपिउ । अण्णु ण जिण जगि तुह समोवि, दक्खिण्ण दयासउ । जइ अवगण्णसि तुह जि अहह, कह: होसु हयासउ ॥२८॥ जइ तुह रूविण किणवि पेय पाइण वेलवियउ तुवि जाणउ जिण पास तुम्हि, हउं अंगी करिउ। इय मह इच्छिउ जं ण होइ, सा तुह ओहावणु । रक्खंतह णिय कित्ति णेय, जुज्जइ अवहीरणु ॥२९॥छ एह महारिय जत्त देव, इहु ण्हवणमहूसउ । जं अणलियगुणगहण तुम्ह, मुणि जण अणिसिद्धउ। एम पसीह सुपास णाह, थंभणयपुर ठिय । इय मुणिवरु सिरि अभयदेउ, विण्णवइ अणिदिय ॥३०॥ जय महायस सूत्र जय महायस जय महायस जय महाभाग जय चिंतिय सुहफलय जय समत्थ परमत्थ जाणिय जय जय गुरु गरिम गुरु जय दुहत्थ सत्ताण ताणय थंभणयट्ठिय पास जिण भवियह भीम भवत्थु भय अवणं ताणंत गुण तुझतिसंज्झणमोत्थ । salestatta.bahakaleeltodatekeseddicatestcalesioledislide.stoeleckediatellitlahlalahubalhealistshdbhailankal stati-statistakhi+katafakestatestosashankstatstakakir o inkiliateliatelliteratiolindiadiolincialhotresselateautatatisfactokateshy
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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