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________________ १ r a tattatrakantayak Karamatlabrdaskarketiolookstatistkhataalestialistastat-isleakintoostestedistrictetst-listencate-rathitakistateag पूजा-विभाग .... ३६१ AAAAAAAPP. . . i kalatakarsannathakhab nthalalad4takini-Adhatiethatantnhdh -----bikhatarra हैं माया, प्रभुने उसे दवाया। अब दास सिर नमाया, महावीर नाम वारे । सुनिये ॥७॥ ॥ इन्द्रसभा ॥ हृदय कमलदल स्थित परमेश्वर, चिदानंद भगवान । वाके गुण कुसुमावलि करके, पूज सकल सुखदान ||८|| राग मालवी गौडी पूज हो कल्याण प्रभुका, सकल सुर सुख दाय ये देवा । पंच सायक दुःखदायक, नास तसु हो जाय ये देवा, नास०।मालती मुचकुंद दमणो, केतकी सरसाय ये देवा,केतकी। पडल चंपक मोगरा सिति, बोलश्री वरलाय ये देवा बोलश्री० ॥९॥ पांच वरण प्रमोद दायक, कुसुम घन वर साय ये देवा कुसुम० । भक्ति भाव प्रमोद करिके, सरस दाम बनाय ये देवा, सरस० ॥१०॥ नाम मेरो प्राण जीवन, देख मन हुलसाय ये देवा, देख० । चतुर । सागर दासने अब लियो हृदय लगाय ये देवा, लियो० ॥११॥ ॥श्लोक ॥ वीरः सर्व सुरासुरेन्द्र महितो, वीरं बुधाः संश्रिताः । वीरेणाभिहतः स्वकर्म निचयो, वीराय नित्यं नमः । वीरात्तीर्थ मिदं प्रवृत्त मतुलं, वीरस्य घोरं तपः । वीरेश्री धृतिकीर्ति कान्ति निचय, श्रीवीरभद्रं दिशः ॥१२॥ ॐ ह्रीं परमपरमात्मने अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये जन्मजरा मृत्यु निवारणाय श्रीमन्महावीर जिनेन्द्राय पुष्पं यजामहे स्वाहा ।। चतुर्थ धूप पूजा ॥दोहा॥ शुद्धौषध चूरन करी, द्रव्य सुगन्ध मिलाय । प्रभु सम्मुख करिये हवन, कर्म समिध जल जाय ॥१॥ ( उद्धवजी कब दर्शन देंगे, बंशी के बजाने वाले ) सांइयां अब कब मिलना होगा, कहे नंदीवर्धन भाई ॥ तुम ! संयम मारगमें जाते, हम ऊपर दया न लाते । अब काह करें हम नाथजी, ไอติใดใกคได้ฟัด ชัดไดไคคุไดโอดไตปลไกได้ไงจะใครคไดโอดโดดไปคไดคใตโดดไไดดได้ฟักไขคตไกปิดไกลไดในปัดไดโอด16ดไตใจโดยไม่ได้ได้ในไตรงๆได้ไว้ใจ 16 ได้ไว้ใดได้ลดได้ใจได้งอได้ไขใดไดไค ไซ ได้ใจ ไอจงได , ไค 6.1 hikAIRAT----------- r antier-mstr katuralhala-lefilmanta.fmi-for-touttar ไม่ได้
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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