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________________ पूजा-विभाग ३७६ I किरण तरुण तर, किरण निकर जीता है भारी । अनंत नाणवर दर्शन तेजे, प्रभुसूं यशोदर हैं अवतारी ॥ पू० २ ॥ लोकालोक अनंत द्रव्य गुण, पर्याय प्रकट करण है हारी । तातें अन्वय युत जिन धरियो, अनंत नाम अति है मनुहारी ॥ पू० ३ ॥ सिंहसेन नृप नंदन वंदन करते इन्द्रचन्द्रे सुखकारी । सादि अनंत भंग स्थिति धरियो, पद शिवचन्द्र विजयये - धारी ॥ पू० ४ ॥ ॥ काव्य ॥ सलिल चन्दन पुष्प फलनजैः, सुविमलाक्षत दीप सुधूपकैः । विविध नव्य मधुप्रवरान्नकैः जिनममीभिरहं वसुभिर्य्यजे ||५|| ॐ ह्रीं परमपरमात्मने अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये जन्मजरा मृत्यु निवारणाय श्रीमद् अनन्त जिने - न्द्राय जलं, चन्दनं, पुष्पं, धूप, दीप, अक्षतं, नैवेद्यं फलं, वस्त्रं, मुद्रां यजामहे स्वाहा । पञ्चदश श्रीधर्म जिन पूजा ॥ दोहा ॥ भानुभूप कुल भानुकर, पनरम जिनसुर सार । शोभित सहु जग विपिनजन, हरष फलद जलधार ॥१॥ ॥ ढाल || धर्म जिनेश्वर धरम धुरंधर, जग बन्धव जग बाला । सुव्रता नंदन पाप निकंदन, प्रभु भये दीन दयाला | मैं वारिजाऊं २ ॥ प्रभु धीरज गुण निरखि अमर गिरि, लजि लीनो अचला धारा । जिन गंभीरता चरम सिंधु लखि, किय लोकान्त विहारा ॥ मैं० धर्म० ३ ॥ ए जिन चंद्र चरण अरचनते, लहि जिन पति अवतारा । करम वैरि दल करि भवि लहिस्यो, पद शिवचन्द्र उदारा ॥ मैं० धर्म० ४ ॥ ॥ काव्य ॥ सलिल चन्दन पुष्प फलब्रजैः, सुविमलाक्षत दीप सुधूपकैः । विविध नव्य मधुप्रवरान्नकैः जिनममीभिरहं वसुभिर्य्यजे ||५|| ॐ ह्रीं परमपरमात्मने Inotonten in Yastertorten tenants to frotects its tentaclestonte to vote totorte tela tented to totalentrated Youtoutant You to trita tartetesten av locks to rotor tottertontent in to to 're
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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