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________________ पूजा - विभाग भमसी भव वनमें, मंदुमती भय भ्रान्त हैं | श्री० ३ ॥ विष्णु मात तनु जात नृप, विमल कुलंबर हंस हैं । सकल पुरन्दर अमर असुरगण, शिरोवरि प्रभु अवतंस हैं । इम सुरवरनी परिश्रावक जे, पूजे जिन उछरंग हैं । शिवचन्द्र परमपद लहिये, निश्चय करि भव भंग हैं || श्री० ४ ॥ ただただきます ३७७ ॥ काव्य ॥ सलिल चन्दन पुष्प फलव्रजैः, सुविमलाक्षत दीप सुधूपकैः । विविध नव्य मधुप्रवरान्नकैः जिनममीभिरहं वसुभिर्य्यजे ॥ ५॥ ॐ ह्रीं परमपरमात्मने अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये जन्मजरा मृत्यु निवारणाय श्रीमद् श्रेयांस जिने - न्द्राय जलं, चन्दनं, पुष्पं, धूपं, दीपं, अक्षतं, नैवेद्यं, फलं वस्त्रं, मुद्रां जाम स्वाहा । द्वादश श्री वासुपूज्य जिन पूजा ॥ दोहा ॥ हिव बारम जिनवरतणी, पूजन करिये सार । भाव भक्तियुत भवि सदा, द्रव्य भक्ति चितधार ॥१॥ ॥ राग ॥ ( सब अरति मथन मुदार धूपं ) 45 सकल जगजन करत वंदन, जया नंदन सामि रे दुरित ताप निकन्द चन्दन, परम शिव पद गामि रे ॥ देवा० २ ॥ नृपति वर वसुपूज्य नृप कुल, विपिन नंदन जात रे । सुहरि चंदन नंद नंदन, नंद मदकिय घात रे || देवा० ३ || वासु पूज्य जिनेन्द्र पूजो सकल जन महाराज रे । करत नुति शिवचन्द्र प्रभु ए, निखिल सुर सिरताज रे ॥ देवा० ४ ॥ ॥ काव्य || सलिल चन्दन पुष्प फलव्रजैः, सुविमलाक्षत दीप सुधूपकैः । विविध नव्य मधुप्रवरान्नकैः जिनममीभिरहं वसुभिर्यजे ||५|| ॐ ह्रीं परमपरमात्मने अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये जन्मजरा मृत्यु निवारणाय श्रीमद् वासुपूज्य la todenteone's tank tonto to to to Yects Yo Yo to Yocto do to Ya l
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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