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________________ ఏtarthasarathi దమయంతుడుండడం వందనమునకు ३३६ यमनकामनयन्यन्त्र बन्न नचल्नश-न्न प्रधानमन्त्रि मन्त्र ___ पूजा-विभाग ए सम्यक्त्वी जीवडा, करे कुटुम्ब प्रतिपाल । अन्तरगति न्यारा रहे, जिम धाय खिलावे वाल ॥२६॥ सोरठ राग सोहामणी, मुखे न मेली जाय । ज्यू ज्यू रात गलतियां, त्यू त्यू मीठी थाय ॥२७॥ सोरठ थारा देशमें, गढ मोटो गिरनार । नित उठ यादव वांदस्यां, स्वामी नेम कुमार ॥२८॥ जो हूंती चंपो बिरख, वा गिरनार पहार । फूलन हार गुथावती, चढती नेम कुमार ॥२९॥ रे संसारी प्राणिया, चढ्यो न गढ गिरनार । जैनधर्म पायो नहीं, गयो जमारो हार ॥३०॥ धन वा राणी राजे मती, धन वे नेम कुमार । शील संयमता आदरी, पहोतां भवजल पार ॥३१॥ दया गुणोंकी वेलडी, दया गुणोंकी खान । अनंत जीव मुगतें गया, दया तणे परमान ॥३२॥ ॥ दोहा सोरठो रागमां ॥ सुमती पूजा आठमी, अगर सेलारस सार । लावोजिन तनु भावशं, गंधवटी घनसार ॥३३॥ ॥राग सोरठ॥ कुद किरण शशि ऊजलो जी देवा, पावन घस घन सारोजी। आछो सुरभि शिखर मृग नामिनो जी देवा, चुन्न रोहण अधिकारोजी ॥ आ० ॥३४॥ वस्तु सुगंध जब मोरियोजी देवा, अशुभ करम चूरीजेजी ॥ आ० ॥ अंगण - सुरतरु मोरियोजी देवा, तव कुमती जन खीजे जी * तब सुमती जन रीझें जी ॥३६॥ ॥राग सामेरी ॥ पूजोरी माई, जिनवर अंग सुगंधे ॥ जि० ॥ पू० ॥ गंधवटी घनसार । उदारे, गोत्र तीर्थंकर बांधे ॥ पू० ॥३८॥ आठमी पूजा अगर सेल्हा रस, গল্পগুঞ্জনুক্ষন্দুলুক্ষণ 'PRAKAKKENAREKKAaradhikahikikatrikKARENAKSHEKHARJANKAkshetstakorakoobsoolatakakaki मन्त्रमणप्रत्रमन्त्र
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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