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________________ २६६ ................... raulashtat....sealitbulutatasthanikat.hdnxn मन्मन्ननगम मन्त्रालयअन्यत्रतत्र प्रधानमन्त्रमनयनन्यायप्रणमननप्रयाग्रप्रयन जैन-रनसार शिलान्यास (नीव) भरने की विधि - शुभदिन, शुभघड़ी, शुभमुहूर्त, शुभनक्षत्र में पञ्चतीर्थजी की प्रतिमा जहां नींव खोदी गई हो वहां ले जावे और स्नात्रपूजा, दशदिग्पालों तथा नवग्रहों के पट्टों की स्थापना, बलिवाकुलादि का सब कार्य शान्तिपूजा के समान ही करना चाहिये। जिस कोण में नींव खोदने का मुहूर्त हो उस कोण में गड्ढा खुदवावे उस गड्ढे में पृथ्वी की पूजन करे। पृथ्वी पूजन मन्त्र ॐ पृथिव्यै नमः 'जलंसमर्पयामि यह कह जल चढ़ावे और इसी मन्त्र से रोली का छींटा, पुप्प धूप, दीपक, मूंग, अक्षत ( चावल ), दुव ( हरी घास ), गुड़, बतासे, सुपारी आदि चढ़ावे । एक ताम्बे के लोटे में सवासेर घी, चौखंटा रुपया, पुरानी मोहर, पञ्चरत्न की पोटली डाल दे और सोने का सांप (नाग) को नैर्ऋतकोण में नागिनी को नाग के बायीं तरफ लोटे में बैठावे और लोटे को ढक दे ऊपर से नारियल रख लाल कपड़े से बांध दे। .ladakhstalhubabitasbarahat.LtushaileadealrukutubidiohathitradichuthalaliKITALKIYANKSutilathimilailailaaliNAA . MAABETH ___ॐ पृथ्वी पतये नमः यह मन्त्र पढ़ लोटे को गढे में रख दे। जो लोटा रखनेवाला हो उसके हाथ में गुरु मोती की राखी बांध कर तिलक * करे और 'ॐ अनन्ताय नमः जलं समर्पयामि जलका छींटा, गुड़, दूव इसी मन्त्र से चढ़ावे और गढ़े को चारों तरफ से गज गज भरतक भरवा दे खास तौर पर पांच ईटे शुद्ध जल से साफ कर पूजन करनेवाला ! रखे । और विसर्जन का सब कार्य पूर्ववत् करना चाहिये। . जल यात्रा महोत्सव विधि शुभदिन शुभघड़ी शुभनक्षत्र शुभमुहूर्त में जल यात्रा के वास्ते गङ्गा नोट-जहां नदी हो वहां उसी नदी के जल से ईटे शुद्ध करनी चाहिये। शिलान्यास विधि करानेवाले को भेंट अवश्य देनी चाहिये। eilaili k i .lankaalakailalkilatika
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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